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सहारनपुर जातीय हिंसा: दलितों ने दिल्ली में बुलंद की आवाज

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 5 मई को हुई जातीय हिंसा की आवाज दिल्ली तक पहुंच गई है. दलित समर्थक 'भीम आर्मी' की अगुवाई में रविवार को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया गया.

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'भीम आर्मी' की अगुवाई में प्रदर्शन
'भीम आर्मी' की अगुवाई में प्रदर्शन

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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 5 मई को हुई जातीय हिंसा की आवाज दिल्ली तक पहुंच गई है. दलित समर्थक 'भीम आर्मी' की अगुवाई में रविवार को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया गया. इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए हज़ारों को संख्या में लोग जंतर-मंतर पर पहुंचे. प्रदर्शन में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद भी शामिल हुए.

जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे दलितों की मांग थी कि सहारनपुर में पुलिस ने उनके लोगों के खिलाफ जो गलत तरीके से केस दर्ज किया है वो वापस लिया जाए. साथ ही प्रदर्शनकारियों ने पूरे मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच की मांग की. विरोध प्रदर्शन में न सिर्फ सहारनपुर बल्कि उत्तर प्रदेश के दूसरे हिस्सों से भी दलित जुटे. हरियाणा से भी कुछ लोग प्रदर्शन में पहुंचे. प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर और उसके आसपास के इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी थी.

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जंतर भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने इंसाफ की लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया. जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार, दलित कार्यकर्ता जिग्नेश मेवानी (गुजरात) भी प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली. चंद्रशेखर ने कहा कि अपने समाज की लड़ाई के लिए अगर पुलिस मुझे नक्सली समझती है तो मुझे नक्सली बनना स्वीकार है. पुलिस ने भीम आर्मी पर नक्सलियों से संबंध होने का आरोप लगाया है.

दरअसल 5 मई को सहारनपुर के शब्बीरपुर में महाराणा प्रताप की शोभायात्रा निकाली गई थी. इस दौरान दलित और राजपूत समुदायों के बीच झड़प हो गई. दलितों का आरोप है कि सैकड़ों की संख्या में पहुंचकर राजपूत समुदाय के लोगों ने उनके घरों में आग लगा दिया.

गौरतलब है कि सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद 'भीम आर्मी' के 40 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं. दिल्ली में प्रदर्शन के लिए 10 दिन पहले से ही तैयारी चल रही थी. प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए बकायदा सोशल मीडिया का भी सहारा लिया गया.

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