केंद्र सरकार ने सेना के सहायकों (हेल्पर्स) के पक्ष में वकालत की है. राज्यसभा में सरकार ने कहा कि सहायक सैन्य अधिकारियों को मदद मुहैया कराने के लिए होते हैं. उनसे कमतर या घरेलू काम नहीं कराया जा सकता है. यह एक सैनिक की गरिमा के अनुरूप नहीं है. दरअसल, कुछ सैन्य अधिकारियों की ओर से सहायकों से नौकर की तरह घरेलू काम कराने को लेकर उठे विवाद के बाद सरकार का यह बयान सामने आया है.
रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सहायक शांति और युद्ध के दरम्यान सैन्य अधिकारियों की मदद के लिए होते हैं. ऐसे में अधिकारियों और सहायकों के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते होना बेहद जरूरी है. इसके अलावा पहले भी समय-समय पर सहायकों को घरेलू काम में नहीं लगाए जाने के निर्देश जारी किए जाते रहे हैं. ऐसा करना जवान की गरिमा और आत्मसम्मान के खिलाफ है.
इस महीने के शुरुआत में एक शिकायती स्टिंग वीडियो सामने आने के बाद महाराष्ट्र के दियोलाली कैंट में सहायक रॉय मैथ्यू फंदे से लटका पाया गया था. वायरल हुए इस वीडियो में रॉय ने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की ओर से घरेलू काम कराने की शिकायत की थी. इसके बाद एक और जवान ने भी वीडियो पोस्ट कर सहायक से घरेलू काम कराने की तीखी आलोचना की थी. जवान ने कहा कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारी सहायकों से गुलामों की तरह बर्ताव करते हैं.
भामरे ने कहा कि सहायक सिर्फ मिलिट्री ड्यूटी के लिए हैं, जो शांति और युद्ध दोनों में अहम भूमिका निभाते हैं. ये सेना के अहम हिस्सा हैं, जो सैन्य अधिकारियों और जेसीओ को मदद मुहैया कराते हैं. हालांकि नौसेना और वायुसेना में सहायक को रखने की व्यवस्था नहीं है.