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सेल का चौथी तिमाही का लाभ 40 प्रतिशत बढ़कर 2,085 करोड़ रुपये

सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल ने 31 मार्च, 2010 को समाप्त हुई चौथी तिमाही में अपने शुद्ध लाभ में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की और दौरान 2,085 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया.

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सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल ने 31 मार्च, 2010 को समाप्त हुई चौथी तिमाही में अपने शुद्ध लाभ में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की और दौरान 2,085 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया.

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इससे पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में कंपनी को 1,485.20 करोड़ रुपये लाभ हुआ था. हाल ही में ‘महारत्न’ का दर्जा हासिल करने वाली कंपनी सेल की समीक्षाधीन तिमाही में कुल आय बढ़कर 12,672.69 करोड़ रुपये पहुंच गई, जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में कंपनी की कुल आय 12,519.33 करोड़ रुपये थी.

कंपनी के निदेशक मंडल ने शेयरधारकों के लिए 17 प्रतिशत अंतिम लाभांश की सिफारिश की. इस तरह से 16 प्रतिशत के अंतरिम लाभांश के साथ कंपनी 2009.10 के लिए कुल 33 प्रतिशत लाभांश दे रही है. सेल के चेयरमैन एस.के. रूंगटा ने संवाददाताओं को बताया, ‘सेल के आधुनिकीकरण एवं विस्तार योजना के तहत चौथी तिमाही में 2,894 करोड़ रुपये पूंजी निवेश किया गया जो इससे पूर्व वर्ष की समान तिमाही में किए गए निवेश के मुकाबले 45 प्रतिशत अधिक है.’

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वित्त वर्ष 2009-10 में कंपनी का शुद्ध लाभ 6,754.37 करोड़ रुपये रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष के 6,170.40 करोड़ रुपये के लाभ से 9.4 प्रतिशत अधिक है. यूरोपीय ऋण संकट के बीच डालर और रुपए के मुकाबले यूरो के मंहगा होने से कंपनी के निर्यात पर असर के बारे में पूछे जाने पर रूंगटा ने कहा कि वास्तव में यह सेल के लिए एक तरह से फायदे की स्थिति है.

उन्होंने कहा, ‘यूरो के कमजोर होने से सेल को वहां से मशीनों का आयात सस्ता पड़ रहा है क्योंकि आधुनिकीकरण एवं विस्तार योजना में मशीनरी आदि का आयात यूरोपीय देशों से किया जा रहा है.’ ‘चूंकि यूरोपीय देशों को सेल का निर्यात बहुत सीमित है, इसलिए यूरो की नरमी का सेल के निर्यात पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है.’ वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान सेल के संयंत्रों ने 1.45 करोड़ टन हाट मेटल, 1.35 करोड़ टन कच्चे इस्पात और 1.26 करोड़ टन सेलेबल स्टील का उत्पादन किया.

विशेष एवं मूल्यवर्धित इस्पात की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी का जोर मूल्यवर्धित इस्पात के उत्पादन पर है. बीते वित्त वर्ष को कंपनी के लिए अहम बताते हुए रूंगटा ने कहा कि दो दशक के अथक प्रयास के बाद कंपनी अक्तूबर, 2009 में छत्तीसगढ़ में रोघाट खदानों का पट्टा हासिल करने में सफल रही जिसमें 50 करोड़ टन लौह अयस्क का भंडार होने का अनुमान है। ये खदानें अगले 30 वर्ष तक भिलाई स्टील प्लांट की जरूरतें पूरी करेंगी.

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