दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार के एक सह आरोपी को गुरुवार को जमानत देने से इनकार कर दिया और उनके खिलाफ लगाये गये हत्या और आगजनी के आरोपों को ‘प्रत्यक्ष और गंभीर’ करार दिया.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट लोकेश कुमार शर्मा ने आरोपी गिरधारी लाल को जमानत पर रिहा करने की अपील को किसी ठोस आधार के अभाव में खारिज कर दिया. गौरतलब है कि गिरधारी लाल को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ एक गैर जमानती वारंट के बाद उन्हें 23 फरवरी को अदालत में पेश किया गया था.
अदालत ने कहा, ‘आरोपी के खिलाफ लगाये गये आरोप प्रत्यक्ष एवं गंभीर स्वरूप के हैं. मैंने शिकायतकर्ता जगदीश कौर के बयान पर विचार किया. अपराध की गंभीरता पर और जघन्यता पर गौर करते हुए यह पाया गया है कि आरोपी जमानत का हकदार नहीं है.’ दरअसल, अदालत ने 17 फरवरी को लाल के खिलाफ एक गैर जमानती वारंट जारी किया था क्योंकि वह समन के बाद अदालत में पेश होने में नाकाम रहे थे.
गौरतलब है कि 1984 के दंगों के दौरान दिल्ली कैंट में पांच लोगों की हत्या के मामले में लाल को बाहरी दिल्ली के पूर्व सांसद सज्जन कुमार और बलवान खोखर, महेन्दर यादव, महा सिंह, कैप्टन भागमल, संतोष रानी, कृष्ण खोखर के साथ आरोपी बनाया गया है. न्यायधीश जीटी नानावती आयोग की सिफारिश के आधार पर सीबीआई ने दंगों के मामले में 13 जनवरी को दो आरोपपत्र दाखिल किये थे.