हिट एंड रन केस में मुंबई के सेशंस कोर्ट ने बॉलीवुड के दबंग सलमान खान पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप तय कर दिया है. अगर वे दोषी पाए गए तो उन्हें 10 साल की सजा हो सकती है. उनके लिए राहत की बात यह है कि उन्हें ट्रायल के दौरान पेशी से छूट दे दी गई है. इस मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी.
सुनवाई के दौरान सलमान खान ने खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश की. जज ने उनसे पूछा कि क्या वे खुद को इस मामले में दोषी मानते हैं तो उन्होंने कहा, 'मैं निर्दोष हूं.' लेकिन कोर्ट ने फैसला किया कि उन पर गैर-इरादतन हत्या का केस ही चलेगा और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 304(2) (गैर-इरादतन हत्या), 379 (लापरवाही), 338 और 437 के तहत आरोप तय कर दिए गए.
कोर्ट ने सलमान खान को थोड़ी राहत देते हुए उन्हें ट्रायल के दौरान पेशी से छूट भी दे दी. लेकिन जज ने कहा है कि जब जरूरी होगा तब उन्हें कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा.
हालांकि इससे पहले जज ने कहा था कि वह सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि उनका तबादला हो गया है. लेकिन सलमान के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को सितंबर में शूटिंग के लिए विदेश जाना है इसलिए उन्हें निजी तौर पर कोर्ट में पेश होन की छूट दे दी जाए. इस पर सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी की गैर-मौजूदगी में आरोप तय नहीं हो सकते.
दोनों वकीलों की बात सुनने के बाद जज सुनवाई के लिए तैयार हो गए. इसके बाद जज ने सलमान को राहत देते हुए उन्हें ट्रायल के दौरान निजी तौर पर पेशी से छूट दे दी.
सलमान सुबह 11 बजे कोर्ट पहुंच गए थे और उनकी दोनों बहनें अलविरा और अर्पिता भी उनके साथ थीं. सलमान काफी नर्वस दिखाए दे रहे थे और गाड़ी में रास्ते भर उन्होंने किसी से कोई बात नहीं की.
इस केस का ट्रायल पिछले हफ्ते 19 जुलाई को शुरू हो गया था और तब भी सलमान कोर्ट में निजी तौर पर मौजूद रहे थे. कोर्ट ने उन्हें दूसरी सुनवाई पर भी हाजिर रहने का आदेश दिया था.
पिछले हफ्ते हुई सुनवाई के दौरान सलमान कोर्ट में आम जनता की जगह बैठ गए थे, लेकिन जज ने उनसे कहा था कि वो आरोपी हैं इसलिए उन्हें आरोपी की जगह बैठना होगा. जज के आदेश के बाद सलमान को अपनी जगह बदलनी पड़ी थी.
इससे पहले 25 जून को मुंबई के सेशंस कोर्ट ने साल 2002 के हिट एंड रन मामले में सलमान की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि उनके खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का केस चलेगा. अब अगर सलमान दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है.
दरअसल, सलमान ने निचली अदालत के जज के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिन्होंने इसे हत्या नहीं बल्कि सदोष मानवहत्या का कठोर मामला मानते हुए दोबारा सुनवाई के आदेश दिए थे. इस मसले पर बहस मई में पूरी हुई थी और सलमान के वकील अशोक मुंडार्गी ने निचली अदालत के आदेश को भ्रामक और कानून के मुताबिक गलत और दर्ज सुबूत के खिलाफ बताया था.
मामला सेशंस कोर्ट तक पहुंचा और सुनवाई के दौरान खुली अदालत में फैसला लिखवाते हुए सत्र न्यायाधीश यूबी हेजिब ने कहा कि सलमान को गैर इरादतन हत्या के आरोपों का सामना करना चाहिए.
सलमान के खिलाफ इससे पहले लापरवाही से मौत (आईपीसी की धारा 304 ए) के तहत हल्के आरोप के लिए मजिस्ट्रेट ने मुकदमा चलाया था. उसके तहत अधिकतम 2 साल के कारावास का प्रावधान है.
गौरतलब है कि सलमान की एसयूवी ने 28 सितंबर 2002 को बांद्रा उपनगर में फुटपाथ पर सो रहे पांच लोगों को कुचल दिया था, जिनमें से एक की मौत हो गई थी.