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जनता परिवार के गठन में अड़चन, मुलायम को नहीं दिख रहा फायदा!

आरजेडी, जेडीयू और समाजवादी पार्टी के विलय यानी जनता परिवार के गठन का ऐलान इस हफ्ते हो सकता है. लेकिन खबरों के मुताबिक, सपा का ठंडा रुख और बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का रवैया इसमें रुकावट पैदा कर सकते हैं. अंग्रेजी अखबार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' ने यह खबर दी है.

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आरजेडी, जेडीयू और समाजवादी पार्टी के विलय यानी जनता परिवार के गठन का ऐलान इस हफ्ते हो सकता है. लेकिन खबरों के मुताबिक, सपा का ठंडा रुख और बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का रवैया इसमें रुकावट पैदा कर सकते हैं. अंग्रेजी अखबार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' ने यह खबर दी है.

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जेडीयू से जुड़े शीर्ष सूत्रों के मुताबिक जीतन राम मांझी को हटाकर नीतीश कुमार या उदय चौधरी के मुख्यमंत्री बनने के कयास लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा, मीसा भारती को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के साथ आरजेडी के ही अब्दुल बारी सिद्दीकी को अहम पद मिल सकता है.

जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'समझा जा रहा था कि मांझी केयरटेकर सीएम होंगे, लेकिन उनके बयानों और नीतीश कुमार के करीबी अधिकारियों को सचिवालय से शिफ्ट करने से उनकी बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का पता लगता है. यह चिंताजनक है.' हालांकि उन्होंने मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने को लेकर टिप्पणी करने से इनकार किया.

मुलायम को नहीं दिख रहा फायदा
समाजवादी पार्टी का रवैया भी इस राह में बड़ा रोड़ा है. मुलायम सिंह यादव के भतीजे तेज प्रताप सिंह (मैनपुरी से सांसद) और आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव की बेटी राज लक्ष्मी की शादी के बावजूद समाजवादी पार्टी विलय को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है.

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सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के करीबी सूत्रों ने बताया कि उनका मानना है कि विलय से उत्तर प्रदेश में सपा को कोई फायदा नहीं होगा, जबकि पार्टी बिहार में चुनाव नहीं लड़ती है. सूत्र ने बताया, 'यह विलय सिर्फ संसद में असरदार है. यह किसी मुद्दे को सख्ती से उठाने या राबड़ी देवी जैसी शख्सियत के राज्यसभा में चुने जाने या जेडीयू सांसद केसी त्यागी के ऊपरी सदन में चुने जाने में मददगार है.'

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के पास अच्छा बहुमत है, जिससे पार्टी 2017 तक राज्यसभा में ज्यादा सदस्यों को भेज सकती है. उन्होंने बताया, 'हमें इस मोलभाव में कुछ भी नहीं मिला है.' गौरतलब है कि बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

जेडीयू और RJD भुला रहे रंजिश
सपा भले ही इस विलय को लेकर उत्साहित न हो, पर आरजेडी और जेडीयू सुलह करने में लग गए हैं. दुश्मनी के तमाम वजहों को एक-एक कर खत्म करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अब जेडीयू नेता ललन सिंह राबड़ी देवी पर चल रहे मानहानि के केस को रफा-दफा करने की तैयारी में हैं. मांझी सरकार में पथ निर्माण मंत्री और नीतीश के खासमखास माने जाने वाले ललन सिंह ने सोमवार को सुलहनामा दायर किया, जिसके बाद राबड़ी के खिलाफ चल रहा मानहानि का मुकदमा खत्म हो जाएगा.

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2009 में विधानसभा चुनाव के वक्त राबड़ी ने ललन सिंह के खिलाफ एक विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसके बाद ललन सिंह ने मानहानि का मामला दायर किया था. केस के सबूतों साक्ष्य पर बहस चल रही थी. ललन सिंह पर निजी बयान देने से राबड़ी देवी की काफी किरकिरी भी हुई थी. सुलहनामे में राबड़ी देवी और ललन सिंह ने अपने अपने हस्ताक्षर कर नयायालय से निवेदन कर मामले को खत्म करने की अपील की है.

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