दागी नेताओं को सत्ता के सुख से रोकने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जहां आम जनता खुश हैं, वही राजनैतिक पार्टियां धीरे-धीरे खुलकर इसकी मुखालफत करती हुई सामने आने लगी हैं.
समाजवादी पार्टी के सांसद और महासचिव नरेश अग्रवाल ने आज तक से खास वातचीत में कहा कि ये लोकतांत्रिक फैसला नहीं है. इस मामले में पुर्नविचार याचिका दायर करनी चाहिए नहीं तो सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों की राय जानना चाहिए.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद तमाम दोषी नेताओं को सजा मिलते ही कुर्सी जाने का डर सताने लगा है, इसीलिये सियासी दलों में खलबली मच गई है. आय से अधिक संपत्ति मामले में कोर्ट के चक्कर काट रहे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने आनन-फानन में दिल्ली पहुंचकर पीएम से मुलाकात भी कर डाली. हालांकि जब मुलायम सिंह पीएम आवास से बाहर निकले तो उनकी जुबान पर ताला लगा था. सूत्रों की मानें तो मुलायम ने पीएम से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर बातचीत की है. ये मुलाकात करीब 30 मिनट तक चली.
समाजवादी पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता नरेश अग्रवाल ने कहा कि सत्तारुढ पार्टी तो आजकल किसी के भी खिलाफ बड़ी आसानी से आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करा कर उसको जेल भेज सकती है. तो क्या उस राजनेता का राजनीतिक जीवन हमेशा के लिये खत्म नहीं हो जायेगा. क्या ये लोकतांत्रिक रहेगा. क्या इस बारे में सरकार या कोर्ट को नहीं सोचना चाहिये.
खबर तो ये भी है कि मुलायम की धुर विरोधी मायावती भी कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं और वो भी रिव्यू कराना चाहती हैं. गौरतलब है कि मायावती पर भी आय से अधिक संपत्ति के कई मामले चल रहे हैं.
इसके अलावा लालू यादव, लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, अमित शाह पर अलग-अलग तरह के मुकदमे लंबित हैं. ऐसे में दोषी नेताओं के मुद्दे पर डरे हुए तो सभी दल हैं लेकिन कोई खुलकर इस पर बोलना नहीं चाहता.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस का रुख भी साफ नहीं है. पार्टी प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा कि राजनीतिक मुकदमेबाजी के मामलों को देखा जाना चाहिये. कोर्ट का विस्तृत आर्डर हम देख रहे हैं. उसके बाद ही तय कर पायेंगे कि सर्वदलीय बैठक या रिव्यू याचिका के बारे में क्या किया जाना चाहिये.
साफ है कि सरकार इस मामले को लेकर जल्दबाजी में नहीं है लेकिन जिन नेताओं पर सजा की तलवार लटक रही है वो जरूर चिंतित नज़र आ रहे हैं.