यूपीए सरकार को समर्थन देकर संकटमोचक की भूमिका में आए मुलायम सिंह यादव 24 घंटे के भीतर ही सियासी सौदेबाजी पर उतर आए. सियासी मौकापरस्ती के लिए मशहूर मुलायम ने नया पासा फेंक कर सरकार को मुसीबत में डाल दिया. समाजवादी पार्टी ने बेनी प्रसाद वर्मा के बयान को मुद्दा बनाया और साफ कर दिया कि जब तक बेनी वर्मा से इस्तीफा नहीं ले लिया जाता वो संसद नहीं चलने देंगे.
संकटमोचक ही सरकार के लिए संकट की वजह बन गया. डीएमके की समर्थन वापसी के बाद यूपीए को बाहरी समर्थन की बैशाखी थमाने वाली समाजवादी पार्टी ने सरकार को बचाने की कीमत वसूलने की तैयारी शुरू कर दी.लोकसभा शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के सांसदों का हंगामा शुरू हो गया, तो राज्यसभा की कार्रवाई शोर शराबे की वजह से नहीं शुरू हो सकी. बेनी प्रसाद वर्मा के बयान की बिसात पर सियासी शतरंज पर शह और मात का खेल शुरू हो गया. मोल भाव पर उतरी समाजवादी पार्टी ने समर्थन के एवज में बेनी प्रसाद वर्मा से मंत्री पद की बलि लेने का इरादा जाहिर कर दिया.
पिछले साल एफडीआई के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने सरकार का साथ छोड़ा, तो मुलायम ने ही यूपीए का हाथ थाम कर मुश्किल से बचाया. डीएमके की समर्थन वापसी के बाद मुलायम की अहमियत बढ़ गई. सरकार पर दबाव बनाने के लिए समाजवादी पार्टी ने प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता पर ही सवाल खड़ा कर दिया.
सपा के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि वाजपेयी का शासन काल मनमोहन सिंह से अच्छा था. हालांकि गुजरात दंगों का जिक्र कर उन्होंने अपने परंपरागत वोटरों को भी खुश जरूर किया.
समाजवादी पार्टी ने एक एक कर सहयोगी दलों के साथ छोड़ने के लिए कांग्रेस के तौरतरीको को जिम्मेदार ठहराया. समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया कि अभी तो वो समर्थन दे रहे हैं लेकिन आगे कब तक ये जारी रहेगा इसकी कोई गारंटी नहीं. समाजवादी पार्टी ने अक्तूबर में लोकसभा चुनाव होने तक की भविष्यवाणी कर दी.
बेनी प्रसाद वर्मा को लेकर बवाल बढ़ते देख कर कांग्रेस ने कन्नी काटी. जिस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के सांसदों ने संसद को ठप कर दिया, उसे संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने बंद अध्याय करार दिया.
लोकसभा में जब दोबारा बेनी प्रसाद वर्मा के मुद्दे पर हंगामा हुआ तो प्रधानमंत्री ने उन्हें तलब किया. इसके बाद बेनी प्रसाद वर्मा ने पूरे मामले पर खेद जाहिर किया.
सियासत में मौकापरस्ती के लिए मशहूर नेताजी इतने से ही नहीं माने. बेनी प्रसाद वर्मा के बहाने कांग्रेस की कमजोर नस पकड़े मुलायम ने अपनी मुट्ठी ढ़ीली नहीं की. बेनी बाबू पर पार्टी का रुख संसदीय दल की बैठक के फैसले के बाद साफ करने की बात कह कर मुलायम ने साफ कर दिया कि वो सियासी समय की नब्ज पकड़ने का मौका गंवाना नहीं चाहते.