12 साल पहले दिल्ली से लाहौर जा रही समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में हुए ब्लास्ट केस पर होली से एक दिन फैसला आ गया है. पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 4 आरोपियों (असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी) को बरी कर दिया है. इस धमाके में 68 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 12 लोग घायल हो गए थे.
पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने पाकिस्तान की महिला राहिला वकील की याचिका को खारिज करते हुए सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया. इस मामले में कुल 8 आरोपी थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है और तीन को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. इस धमाके में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों की जान गई थी. मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलकर्मी भी शामिल थे. आइए, जानते हैं इस समझौता ब्लास्ट में कब और कहां हुआ.
धमाके की टाइमलाइन
18 फरवरी 2007: भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में बड़ा धमाका हो गया जिसमें 68 लोगों की मौत हो गई और 12 घायल हो गए थे. यह धमाका हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था.19 फरवरी 2007: पुलिस एफआईआर के अनुसार यह धमाका 23:53 बजे दिल्ली से 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दीवाना रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन में हुआ. धमाके से ट्रेन के 2 जनरल कोच में आग लग गई. बाद में जांच के दौरान घटनास्थल से पुलिस को दो ऐसे सूटकेस बम मिले जो फटे नहीं थे.
20 फरवरी, 2007: बम धमाके के बाद प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के 'स्केच' जारी किए. पुलिस ने संदिग्धों तक पहुंचने के लिए जानकारी देने वालों को 1 लाख रुपये का नकद इनाम देने का ऐलान किया. साथ ही हरियाणा सरकार ने मामले की एसआईटी (विशेष जांच दल) से कराने का ऐलान किया.15 मार्च, 2007: इंदौर से दो संदिग्ध लोगों को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया. समझौता धमाकों के सिलसिले में यह पहली गिरफ्तारी थी.
29 जुलाई, 2010: धमाके के 3 साल बाद केस को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया.
जून, 2011: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 26 जून 2011 को स्वामी असीमानंद समेत 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. चार्जशीट में स्वामी असीमानंद के अलावा सुनील जोशी, संदीप डांगे, रामचंद्र कालसंग्रा और लोकेश शर्मा का नाम शामिल किया गया. इसमें सुनील जोशी की 2007 में मध्य प्रदेश के देवास में हत्या कर दी गई. जबकि संदीप और रामचंद्र अभी भी फरार हैं.
जांच के दौरान 290 प्रत्यक्षदर्शियों को शामिल किया गया, इसमें कई पाकिस्तानी शामिल नहीं हुए.
अगस्त 2014: समझौता ब्लास्ट केस के मुख्य अभियुक्त स्वामी असीमानंद को जमानत मिल गई. कोर्ट में एनआईए असीमानंद के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई. उसे सीबीआई ने 2010 में उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया था.
15 मार्च, 2019: पंचकूला बार एसोसिएशन की स्ट्राइक के चलते समझौता ब्लास्ट केस में सुनवाई में दोनों पक्षों के वकीलों की कोर्ट में एंट्री नहीं हो सकी. लिहाजा कोर्ट ने सुनवाई के लिए 18 मार्च का दिन तय किया. कई साल चली सुनवाई के दौरान इस साल मार्च में फाइनल बहस पूरी हुई और कोर्ट ने अपना फैसला 11 मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया था.
20 मार्च, 2019: समझौता ब्लास्ट केस में सभी चार आरोपियों असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया.
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