महाराष्ट्र के थिएटरों के बाहर 2008 में बम धमाकों को लेकर सनातन संस्था आरोपों के घेरे में है. इस संस्था के दो साधकों के हैरान करने वाले कबूलनामे सामने आने के बाद सनातन संस्था के खिलाफ फिर से जांच की मांग तेज हो गई है. इंडिया टुडे-आजतक की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ने इन दोनों साधकों को कैमरे पर आतंकी हमलों में अपनी कथित भूमिका के बारे में बताते हुए कैद किया है.
गोवा के मंत्री ने किया संस्था का बचाव
इस मामले में गोवा के कैबिनेट मंत्री सुदीन धाविलकर ने सनातन संस्था का बचाव किया है. उन्होंने कहा है, 'सनातन संस्था हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए काम कर रही है. मुझे नहीं लगता कि वे देश के खिलाफ कोई काम कर रहे हैं. इस मामले की जांच हो रही है और होनी भी चाहिए. इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.'
उन्होंने कहा है कि वह और उनका परिवार सनातन संस्था के साथ हिंदू धर्म के प्रसार के लिए जुड़े हुए हैं. सनातन संस्था हिंसा में विश्वास नहीं करती है. इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है कि संस्था के अंदर क्या चल रहा है. हम हिंदू धर्म का प्रसार करने वाले सभी संगठनों का समर्थन करते हैं.
धावलिकर ने आगे कहा कि वह केवल संस्था को विज्ञापन देते हैं. चाहे तो उनकी बैलेंस शीट की जांच कर ली जाए. उन्होंने आजतक और इंडिया टुडे के खुलासे पर कहा है कि अगर दो लोग सनातन संस्था के साधक होने का दावा कर रहे हैं तो उनका कैसे भरोसा कर लिया जाए.
उन्होंने इस मामले पर कहा है कि घटना के समय कांग्रेस सत्ता में थी. अब यह मामला अदालत में है तो इसपर फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए.
महाराष्ट्र सरकार करेगी नए सबूतों की जांच
इन खुलासों के बाद महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर ने कहा है कि सरकार नए सबूतों की जांच करेगी और इस संबंध में जरूरी जांच की जाएगी. बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट में पिछले 10 सालों से इस मामले के केस पेंडिंग हैं.
इंडिया टुडे ग्रुप के खुलासों के बाद कांग्रेस ने सनातन संस्था से जुड़े केसों को तुरंत फिर से खोलने की मांग की है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि फिर से जांच शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.
इंडिया टुडे की ओर से किए गए खुलासे के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सनातन संस्था पर तत्काल प्रभाव से बैन लगाने की मांग की है. चव्हाण ने कहा, 'अगर हम सनातन संस्था की पृष्ठभूमि देखें तो बड़ी स्याह तस्वीर सामने आती है. ठाणे जिले में चार हत्याएं, एक बम फैक्ट्री. ये संस्था गोवा में भी बम बनाने में शामिल रही है. हैरानी है कि कैसे ऐसे संगठनों का अस्तित्व बने रहने दिया जाता है जो सीक्रेट मर्डर सोसाइटी की तरह काम कर रहे हैं. हम ऐसे व्यक्ति को क्यों नहीं पकड़ सकते जो ट्रिगर निकालता है.'
वहीं, सनातन संस्था ने अपनी गतिविधियों का बचाव करने की कोशिश की है. सनातन संस्था की सहयोगी हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता रमेश शिन्दे ने साधक के कबूलनामे से जुड़े टेप्स को ही 'छेड़छाड़ से तैयार किया' बताया है.
क्या है मामला
इस संस्था को 2008 में महाराष्ट्र में थिएटर्स और सिनेमाहालों के बाहर बम धमाकों के आरोप में महाराष्ट्र ATS ने चार्जशीट में नामजद किया. आरोप है कि सनातन संस्था ने कुछ फिल्मों और नाटकों में जिस तरह से हिन्दुत्व की छवि पेश की जा रही थी, उसे आपत्तिजनक मानते हुए कथित तौर पर ये धमाके किए.बीते कई साल से सनातन संस्था जोर देकर अपने खिलाफ सभी आरोपों को खारिज करती रही है. हालांकि, नए खुलासों के बाद इस संस्था की मश्किलें बढ़ सकती हैं.
सात साल पहले मंगेश दिनकर निकम को ट्रायल कोर्ट ने ठाणे, पनवेल, और वाशी में 2008 में हुए बम धमाकों से जुड़े केस में बरी कर दिया था, लेकिन अब निकम ने खुद कैमरे पर कबूल किया है कि उसने विस्फोटक प्लांट किए थे.
कैमरे के सामने किया कबूल
पुलिस रिकॉर्ड में संस्था साधक के तौर पर दर्ज पहचान वाले 45 वर्षीय निकम ने माना कि जो बम डिस्पोजल स्क्वॉड ने डिफ्यूज़ कर दिया था, उसे उसने ही प्लांट किया था. निकम के मुताबिक संस्था के हिसाब से वाशी थिएटर में एक मराठी नाटक में हिन्दू देवी-देवताओं की गलत छवि पेश की जा रही थी, उसी का बदला लेने के लिए ऐसा किया गया.
निकम ने सतारा जिले में अपने घर पर इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर से कहा- 'वाशी में था, तो मैंने (IED) रखा था. रखकर आ गया. मेरा इतना रोल था.'
निकम ने कहा, 'वाशी केस जिसमें हम शामिल थे, वहां लोग नाटक में हमारे देवी-देवताओं का उपहास कर रहे थे. वो बस बंद हो जाए, इसके लिए हमने कोशिश की थी. उसके आगे कुछ नहीं.'58 वर्षीय हरिभाऊ कृष्णा दिवेकर भी सनातन संस्था का अनुयायी है जिसने कबूल किया कि 2008 के बम धमाकों में उसकी ज्यादा बड़ी भूमिका थी जिसके लिए अभियोजन उसे दोषी ठहराने में नाकाम रहा.
ATS चार्जशीट के मुताबिक दिवेकर केस के दो दोषियों में से एक का बहुत करीबी रहा है. हालांकि हमलों के तीन साल बाद पर्याप्त सबूतों के अभाव में दिवेकर बरी हो गया. रायगढ़ में अपने घर में इंडिया टुडे SIT के कवर रिपोर्टर के सामने दिवेकर ने माना कि उसने अपने पास विस्फोटक रखे हुए थे जिसका ATS ने अपनी चार्जशीट में दर्ज ही नहीं किया.