एक तरफ सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग हो रही है, तो दूसरी ओर सनातन संस्था ने एक और विवादित बयान दिया है. संस्था ने मांग उठाई है कि संविधान की प्रस्तावना से 'सेकुलर' शब्द अविलंब हटाया जाए.
'हिंदू राष्ट्र' निर्माण की मांग करते हुए संस्था ने यह भी कहा है कि हमारे संविधान में देश की बहुसंख्यक आबादी की सुरक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
सनातन संस्था ने इस बाबत मंगलवार को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर अपनी बात रखी. संस्था के प्रवक्ता चेतन राजहंस और सुनील घनवत ने कहा, 'सेकुलर शब्द हटाने की हमारी मांग निहायत संवैधानिक है, क्योंकि बाद में संशोधन कर यह शब्द जोड़ा गया. इसलिए जो शब्द संशोधन कर जोड़ा जा सकता है, उसे हटाया भी तो जा सकता है.'
घनवत ने कहा, 'संविधान में हिंदुओं की रक्षा के लिए कोई बात नहीं कही गई नहीं है. पाकिस्तान जैसा मुल्क खुद को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर सकता है, तो हम हिंदू राष्ट्र क्यों नहीं?'
हालांकि सनातन संस्था ने यह भी कहा कि अभी हाल में आतंकी कनेक्शन में वैभव राउत और कुछ अन्य कथित दक्षिणपंथी लोगों की जो गिरफ्तारी हुई है, उससे संस्था का कोई लेना-देना नहीं है.
कुछ ऐसा ही दृष्टकोण संस्था के दूसरे प्रवक्ता चेतन राजहंस ने रखा. उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'हम पहले भी साफ कर चुके हैं और आज भी कह रहे हैं कि हमारा उनसे (गिरफ्तार लोग) कोई नाता नहीं है और वे हमारे साधक नहीं हैं. हम तो इन 5 लोगों-कालस्कर, अंधुरे, सुराले बंधु और रागे जैसे लोगों के पहली बार नाम सुन रहे हैं.'
राजहंस ने आरोप लगाया कि कुछ प्रगतिशील संगठन, वामपंथी पार्टियां और नरेंद्र दाभोलकर-कॉमरेड गोविंद पनसारे के परिजन सियासी स्वार्थ के लिए संस्था को बदनाम कर रहे हैं.