प्रयागराज इलाहाबाद में आस्था के महाकुंभ का आगाज हो चुका है. महाकुंभ में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के बीच मकर संक्रांति के पावन मौके पर संगम में 1 करोड़ लोगों के स्नान करने की उम्मीद है.
सोमवार को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सुबह सबसे पहले संगम तट पर महानिर्वाणी अखाड़े ने स्नान किया. इसके बाद निरंजनी अखाड़े का शाही स्नान हुआ. तीसरे नंबर पर जूना अखाड़े का शाही स्नान पूरा हुआ. अब 10 बजकर 40 मिनट पर निर्वाणी अखाड़े का शाही स्नान शुरू होगा. 40 मिनट तक हर अखाड़े का स्नान चलेगा. सबसे आखिरी स्नान निर्मल अखाड़े का होगा जो कि शाम 5.30 तक होगा.
देश-दुनिया से जमा हुए श्रद्धालु
संगम तट पर सुबह से ही लाखों श्रद्धालु स्नान करने पहुंच चुके हैं. शाही स्नान शुरू हो चुका है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं. सोमवार को ही मकर संक्रांति है और इसी दिन से कुंभ स्नान भी शुरू हुआ है. 144 साल बाद यह शुभ संयोग आया है. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु कुंभ में पहुंचे हैं.
विदेशों से भी बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं का जत्था कुंभ स्नान करने आया है. 12 साल बाद होने वाले आस्था के इस महासंगम में श्रद्धालुओं औऱ साधु-संतों के लिए पूरी कुंभ नगरी बसाई गई है. मकर संक्रांति से शुरू होने वाला यह पवित्र स्नान दस मार्च को महाशिवरात्रि तक चलेगा.
हर 12 साल बाद कुंभ का आयोजन
मकर संक्रांति यानी सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही प्रयाग में महाकुंभ शुरू हो चुका है. कहते हैं कि अमृत के लिए देवताओं व असुरों के बीच 12 दिनों तक चले युद्ध के दौरान अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार जगहों पर गिरी थीं. उन्हीं 4 जगहों- प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में हर 12 साल बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है. अमृत की पहली बूंद प्रयाग के संगम तट पर गिरी थी, तभी से मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान संगम की धारा में अमृत का प्रवाह होता है. मान्यता है कि महाकुंभ के पुण्यकाल में स्नान, जप और साधना से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं और साधकों को लोक कल्याण की शक्ति मिलती है.
संगम में होंगे 3 शाही स्नान
इलाहाबाद में यह महा आयोजन 55 दिनों तक चलता रहेगा. महाकुंभ के दौरान कुल 6 स्नान पर्व होंगे, जिसमें 3 शाही स्नान और 3 दूसरे पवित्र स्नान होंगे. पहला शाही स्नान मकर संक्राति के दिन हो रहा है. दूसरा शाही स्नान 10 फरवरी यानी मौनी अमावस्या को होगा. तीसरा पवित्र स्नान बसंत पंचमी के मौके पर 15 फरवरी को होगा.
बहरहाल, कुंभनगरी में साधु-संतों का डेरा जम रहा है. तीर्थराज में आस्था का सागर उमड़ रहा है. संक्रांति पर हर कोई पवित्र संगम की एक डुबकी लगाने को आतुर है.