पूर्व लोकसभा स्पीकर पीए संगमा ने कहा है कि जहां तक विकास की बात है, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के इकलौते प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह ही हैं. लेकिन संगमा ने यह भी जोड़ा कि मोदी की छवि सेकुलर नहीं है. गुजरात दंगों पर उन्होंने कहा कि जब लोग बाबरी मस्जिद का गिराया जाना भूल गए, तो ये दंगे भी भूल जाएंगे. मोदी की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए संगमा ने कहा कि फेडरल फ्रंट चलने वाला नहीं, क्योंकि इसमें नेता बहुत ज्यादा हैं. उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी का साथ छोड़ने का नुकसान जेडीयू को उठाना पड़ेगा
संगमा पिछले साल तक शरद पवार की पार्टी एनसीपी के साथ थे. मगर प्रेसिडेंट के चुनाव में यूपीए उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने पवार का साथ छोड़ दिया. तब बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए ने संगमा का साथ दिया था. अगर ताजा बयान की बात करें, तो यह संघ मुख्यालय वाले शहर यानी नागपुर में दिया गया. संगमा ने कहा कि ‘नरेंद्र मोदी में अत्यधिक क्षमता है. बदलाव लाने की इच्छा शक्ति भी है. वह अच्छे प्रशासक हैं. उनकी एक ही कमी है, सांप्रदायिक छवि का होना.’
इसके बाद मोदी की अटल से तुलना करते हुए संगमा बोले कि उनके गुण वाजपेयी की याद दिलाते हैं. मोदी ने गुजरात में अपनी काबिलियत साबित की है. लेकिन जब देश के नेतृत्व की बात आती है. अगर 2014 में बीजेपी के नेतृत्व वाली बीजेपी सत्ता में आती है, तो मोदी के लिए यह बड़ी चुनौती होगी. उनकी ध्यान अच्छी सरकार की तरफ होगा, लेकिन गठबंधन भी साधना होगा.
गोधरा दंगों के दाग पर संगमा की टिप्पणी कुछ इस तरह से थी, ‘जब देश बाबरी मस्जिद का ध्वंस भूवल सकता है, तो लोग गोधरा दंगे भी भूल सकते हैं.भारत में संकटों को सहने करने की, उन्हें पचाने की असीम शक्ति है.’