बिहार में साइकिल पर सवार होकर लालू की लालटेन जलाने संजय दत्त जहां भी गए, वहीं गांधीगीरी की, लेकिन उनको देखने की चाहत भीड़ पर भारी पड़ गई. लोगों ने लाठियां खाईं और हर जनसभा में जमकर हंगामा हुआ.
दौरे की शुरुआत हुई बाल्मीकिनगर से हुई. यहां बगहा की सभा में मुन्नाभाई का काफिला पहुंचा ही था कि भीड़ बेकाबू हो गई. मंच पर मुन्नाभाई हाथ हिलाकर शांत रहने की अपील कर रहे थे, उधर पुलिस लोगों को लाठियों से हांक रही थी.
यही कहानी मोतिहारी में दुहराई गई. लालू को कम और मुन्नाभाई को देखने के लिए भीड़ इकट्ठी हो गई. संजय दत्त ने अखिलेश सिंह के साथ खड़े होकर वोट देने की अपील भी की. लेकिन लोगों को अपने हीरो से हाथ मिलाना था और ऑटोग्राफ भी लेना था. नतीजा, चाहने वालों पर फिर चली पुलिस की लाठी.
दिन की आखिरी रैली पासवान के नाम थी. हाजीपुर में हेलिकॉप्टर तो उतरा लेकिन मुन्नाभाई नहीं उतर पाए. पहले की रैलियों में भीड़ के मिजाज से सबक लेते हुए लौट गए मुन्नाभाई, लेकिन हंगामा यहां भी हुआ.
मुन्नाभाई का हेलिकॉप्टर हवा में था और इधर गुस्से में लोग तोड़-फोड़ कर रहे थे. संजय का इंतजार कर रहे विधायकों को भी वहां से भागना पड़ा. उधर संजय दत्त की सभाओं में हुए हंगामे पर नीतीश कुमार भी चुटकी लेने से नहीं चूके. जाहिर है लोगों के दिल में संजू भाई नेता नहीं, मुन्नाभाई अभिनेता की छवि है. पॉलिटिक्स की पाठशाला में संजय दत्त के लिए इस दिन का सबक शायद यही था.