दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस (एम्स) के इमरजेंसी में पिछले कई दिनों से स्ट्रेचर पर लेटे संत गोपाल दास की सेहत को देखकर हैरानी होती है कि वो आखिर जिंदा कैसे बचे हुए हैं. बेहद दुबला-पतला कमजोर शरीर और 139 दिन का उपवास. इस साल 2 जून से वो लगातार या तो अस्पताल में भर्ती रहे या फिर हरियाणा की अलग-अलग जेल में बंद रहे.
राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक को लिखी चिट्ठियां
डॉक्टर बताते हैं कि उनकी हालत ठीक नहीं है. मेडिकल रिपोर्ट बताती है कि उनके शरीर में कीटोन का लेवल बेहद खतरनाक स्तर तब पहुंच चुका है. लेकिन गोचारण भूमि को लेकर पिछले चार महीने से अडिग संत गोपाल दास की हिम्मत जरा भी नहीं टूटी है. अस्पताल की इमरजेंसी में भी अपनी फाइलों को वो सिरहाने में समेट कर रखते हैं. जिनमें वो तमाम चिट्ठियां हैं जो उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री औरहरियाणा के मुख्यमंत्री समेत तमाम लोगों को लिखकर ये अपील की है कि देश में जानवरों के चरने के लिए जमीनों पर से अवैध कब्जा हटाया जाए और उसे पशुओं के लिए चारागाह बनाया जाए.
कई बार जाना पड़ा जेल
लोग इस मामले को गंभीरता से लें इसके लिए उन्होंने तमाम चिठ्ठियां अपने खून से भी लिखीं. लेकिन बात बनने के बजाय बिगड़ती चली गई. गोचारण की भूमि तो खाली नहीं हुई उल्टा उन्हें जेल में बंद होना पड़ा. दरअसल ये हुआ कि इसी साल दो जुलाई को बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह हरियाणा के तिलियार में रूके हुए थे जहां वो पार्टी के काम से गए थे. जानवरों की बदहाली और चरागाह नहीं होने की वजह से भूखे मरते जानवरों को लेकर अपनी मांगों पर ध्यान खींचने के लिए गोपाल दास अपने कुछ समर्थकों के साथ एक मरे हुए सांड को उस जगह गेट पर रख कर प्रदर्शन करने लगे जहां अमित शाह रूके हुए थे.
प्रदर्शन करना पड़ा महंगा
संत गोपाल दास का कहना है कि वो सांड एक रोड एक्सीडेंट में मर गया था. जिसमें कुछ लोग भी घायल हुए थे. लेकिन इस तरह से प्रदर्शन करना संत गोपाल दास को बहुत मंहगा पड़ा. पुलिस ने जानवरों के हक के लिए अनशन करने वाले व्यक्ति पर गोहत्या का मामला दर्ज कर दिया और उनपर आरोप लगा कि उन्होंने सांड को जहर देकर मार दिया था. इसके अलावा और भी कई मुकदमें दर्ज किए गए जैसे आईपीसी की धारा 182, 181, 140, 164 के तहत उन्हें कई समर्थकों के साथ जेल जाना पड़ा. लेकिन उन्होंने अनशन नहीं तोड़ा और हालत बिगड़ने पर पुलिस ने ही कई बार अस्पताल में भर्ती कराया.
गोचारण की जमीन की खातिर अनशन
अस्पताल में कई बार उन्हें ग्लूकोज चढ़ाया गया और कई बार नाक की पाइप के जरिए फोर्स फीडिंग कराई गई. ताकि उनकी जान बचाई जा सके. लेकिन वो अपनी जिद पर कायम हैं कि जब तक गोचारण के लिए जमीन नहीं खाली की जाती तब तक वो अनशन नहीं तोड़ेंगे चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए.
राजस्थान समेत कई राज्यों में किया आंदोलन
संत गोपाल दास, जिनका असली नाम आजाद मलिक है, हरियाणा के ही रहने वाले हैं और काफी समय से गुजरात और राजस्थान समेत कई राज्यों में इससे लिए आंदोलन और अनशन कर चुके हैं. लेकिन इस समय वो हरियाणा सरकार से इस मामले को लेकर भिड़े हुए हैं. गोपाल दास चारागाह की जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहते हैं कि हरियाण सरकार उसे भी लागू नहीं कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी अनदेखी की जा रही है.
खून से चिट्ठियां लिखने का दावा
लेकिन वो हिम्मत हारने वालों में से नहीं हैं. इसरजेंसी में स्ट्रेचर पर लेटे गोपाल दास ने टेस्ट ट्यूब में छिपाकर रखा गया अपना खून दिखलाते हुए कहा कि इससे वो रसूखवाले लोगों को चिठ्ठियां लिखते रहेंगें चाहे सुनवाई होने में कितनी भी देर क्यों न हो.