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क्या है सरबजीत सिंह का पूरा मामला

सरबजीत को वर्ष 1990 में पंजाब प्रांत में हुए कई बम विस्फोटों में कथित रूप से उनकी संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया था. इस हमले में 14 लोग मारे गए थे. सरबजीत ने पाकिस्तानी जेलों में तकरीबन 22 साल बिताए.

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सरबजीत सिंह
सरबजीत सिंह

पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह का लाहौर के एक अस्पताल में निधन हो गया. इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें जिन्ना अस्पताल के अधिकारियों ने सरबजीत की मृत्यु के बारे में सूचित किया.

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सरबजीत पर शुक्रवार को कोट लखपत जेल में छह कैदियों ने हमला किया था और उसके सिर की हड्डी में चोट आने के साथ ही उसे कई जगह चोटें लगी थीं. उसके सिर पर ईंटों से हमला किया गया तथा उसकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए. उसके बाद से वह अस्पताल में अचेतावस्था में थे.

पुलिस ने मौत की सजा का सामना कर रहे दो कैदियों आमिर आफताब और मुदस्सर के खिलाफ हमले के लिए मामला दर्ज किया है. उन दोनों ने कथित तौर पर जांच अधिकारियों से कहा है कि उन्होंने सरबजीत पर इसलिए हमला किया क्योंकि उसने कथित तौर पर लाहौर में बम विस्फोट किए थे.

सरबजीत को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहे जेल के अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

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सरबजीत को वर्ष 1990 में पंजाब प्रांत में हुए कई बम विस्फोटों में कथित रूप से उनकी संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया था. इस हमले में 14 लोग मारे गए थे. सरबजीत ने पाकिस्तानी जेलों में तकरीबन 22 साल बिताए.

अदालतों तथा पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उसकी दया याचिकाओं को ठुकरा दिया था. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अगुवाई वाली पिछली सरकार ने वर्ष 2008 में सरबजीत की फांसी पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी थी.

सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह गलत शिनाख्त का शिकार है और नशे की हालत में वह गलती से सीमा पार कर गया था.

मौत से पहले सरबजीत की हालत तेजी से बिगड़ने के बाद भारत ने पाकिस्तान से सरबजीत को तत्काल रिहा करने का अनुरोध किया था ताकि उसका भारत में या किसी तीसरे देश में इलाज हो सके. पाकिस्तान ने कहा था कि वह सरबजीत को उसके मुल्क भेजने के संबंध में भारत के अनुरोध पर ‘सकारात्मक रूप से’ विचार कर रहा है.

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