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गुजरात के CM से देश के PM तक, पटेल पर हिट रहा है मोदी का हर दांव

प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी गुजरात में मुख्यमंत्री थे और वह यहां 2001 से 2014 तक मुख्यमंत्री बने रहे. मोदी अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सरदार पटेल को लगातार आगे करते रहे. यह उनकी ही रणनीति का हिस्सा रहा कि पटेल भारत के आजाद होने के 70 साल बाद अब लगातार चर्चा में रहते हैं.

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सरदार पटेल (फाइल)
सरदार पटेल (फाइल)

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  • मोदी राज में बढ़ता चला गया सरदार पटेल का कद
  • बतौर CM मोदी ने पटेल का जिक्र करना शुरू किया

नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय फलक पर आने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल की राजनीतिक तौर पर अहमियत बढ़ी है और भारतीय जनता पार्टी के राज में सरदार पटेल का कद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कांग्रेस राज में पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं का जोर दिखता था और आजाद भारत को संगठित करने वाले सरदार पटेल नेपथ्य में थे, लेकिन मोदी पटेल को राष्ट्रीय फलक पर लेकर आए और उनकी यह रणनीति बेहद कामयाब साबित हुई.

प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी गुजरात में मुख्यमंत्री थे और वह यहां 2001 से 2014 तक इस पद पर रहे. मोदी अपने मुख्यमंत्रित्व काल में सरदार पटेल को लगातार आगे करते रहे. यह उनकी ही रणनीति का हिस्सा रहा कि पटेल भारत के आजाद होने के 70 साल बाद अब लगातार चर्चा में रहते हैं.

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पटेल के प्रधानमंत्री नहीं बनने की कसक

केंद्र में आने से पहले नरेंद्र मोदी 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे और 20 अक्टूबर को गुजरात में एक कार्यक्रम में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक साथ मंच पर उपस्थित थे. इसी मंच से मोदी ने कहा था, 'हर भारतीय के मन में आज तक इस बात की कसक है कि देश के पहले प्रधानमंत्री सरदार पटेल नहीं बने. अगर पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो भारत की तस्वीर कुछ और होती.'

इसके इतर मोदी की सख्त फैसले लेने की छवि को देखते हुए कई नेता उनकी तुलना सरदार पटेल से भी करते हैं. अगस्त 2013 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्विटर पर कहा था कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कद और काम की तुलना केवल सरदार पटेल से ही हो सकती है.

1024px-j_103119081616.jpgबेटी मणिबेन और जेबी कृपलानी के साथ सरदार पटेल (GettyImages)

पटेल की तारीफ के बहाने नेहरू पर हमला

मोदी पटेल के साथ सहानुभूति भी जताते रहे हैं और उनका कहना है कि कांग्रेस ने उनके साथ न्याय नहीं किया. इसके लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू पर हमला भी बोलते रहे.

प्रधानमंत्री मोदी का यह अपना एक तरीका भी है जब भी उन्हें नेहरू पर हमला बोलना होता है तो सरदार पटेल की तारीफ करते हुए बोलते हैं. नरेंद्र मोदी और सरदार पटेल दोनों एक ही राज्य (गुजरात) से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री रहते हुए पटेल को लेकर खुलकर बात की.

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2003 में सरदार पटेल की एंट्री!

माना जाता है कि 2003 के बाद नरेंद्र मोदी के भाषणों में सरदार पटेल शामिल हुए और उसके बाद अपने संबोधन में लगातार गुजरात और सरदार पटेल की बात करते रहे. शुरुआत में मोदी की कोशिश खुद को एक मजबूत शख्स के रूप में पेश करने की थी और इसके लिए उन्होंने नामचीन चेहरे की जरूरत भी थी जो सरदार पटेल के नाम के साथ पूरी हुई.

नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में सरदार पटेल का जिक्र 2003 से शुरू किया, लेकिन करीब 3 साल बाद उन्होंने इसे गंभीरता ले लिया और जोरशोर से पटेल का नाम उठाने लगे. ऐसा माना जाता है कि 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में बीजेपी की करारी हार के बाद मोदी की रणनीति का हिस्सा बनता गया.

gettyimages-961803780_103119081835.jpgकई नेताओं के साथ सरदार पटेल (GettyImages)

पटेल के नाम पर कांग्रेस पर हमला

धीरे-धीरे मोदी ने यह कहना शुरू किया कि कांग्रेस राज में खासकर नेहरू के दौर में सरदार पटेल को उचित सम्मान नहीं दिया गया. 2014 में बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल को अपने भाषणों में अहम स्थान दिया और पटेल के नाम पर कांग्रेस के खिलाफ जोरदार माहौल बनाया. मोदी ने 2014 में बंपर जीत हासिल की जिसमें पटेल का भी अहम योगदान रहा.

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मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार की ओर से 7 अक्टूबर 2010 को इस परियोजना की घोषणा की गई थी. सरदार पटेल को सम्मान दिलाने के नाम पर गुजरात में नर्मदा जिले में स्टेट्यू ऑफ यूनिटी नाम की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनवाने का ऐलान किया गया. सरदार पटेल के 143वें जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को इस प्रतिमा को देश के नाम समर्पित किया.

नरेंद्र मोदी की सरदार पटेल को सामने लाने और उनके नाम पर कांग्रेस को कोसने की उनकी रणनीति बेहद कारगर साबित हुई. यह एक ऐसी रणनीति है जिसका जवाब कांग्रेस के पास भी नहीं है. जबकि मोदी ने आज पटेल का जिक्र देशभर में छेड़ दिया है और उनकी चुनावी जीत में सरदार पटेल का भी अहम रोल रहता है.

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