तमिलनाडु में सत्ता के लिए एआईएडीएमके के अंदर मचा घमासान शुक्रवार को भी जारी है. इस बीच शशिकला के लिए दिल्ली से एक खुशखबरी मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शपथ लेने से रोकने की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है.
शशिकला को मिले समर्थन की जांच
एआईएडीएमके महासचिव शशिकला ने इससे पहले गुरुवार शाम राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया. इस दौरान उन्होंने 120 से ज्यादा विधायक के समर्थन का दावा किया. हालांकि सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल ने उनसे कहा है कि समर्थन में जारी इन हस्ताक्षरों की जांच करनी होगी.
पन्नीरसेल्वम ने मांगा 5 दिनों का वक्त
उधर राज्य के कार्यकारी मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने 35 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने सरकार बनाने के लिए जरूर समर्थन जुटाने के लिए राज्यपाल से 5 दिनों का वक्त मांगा है. वहीं पन्नीरसेल्वम समर्थक AIADMK नेताओं का कहना है कि 'अम्मा' ने ही पन्नीरसेल्वम को सीएम चुना था और राज्य की भलाई के लिए वह ही बेहतर होंगे.
पन्नीरसेल्वम गुरुवार को जब राज्यपाल विद्यासागर राव से मिलने पहुंचे तो उन्होंने अपने पुराने रुख से पलटते हुए बहुमत साबित करने के लिए पांच दिन का वक्त मांगा. पन्नीरसेल्वम ने राज्यपाल से ये भी कहा कि वे शशिकला के विधायकों के समर्थन के दावे पर भरोसा न करें और न ही उन्हें विधायक दल का नेता मानें, क्योंकि उनके चयन में कई अनियमितताएं हैं. पन्नीरसेल्वम ने अपना इस्तीफा वापस लेने की भी इच्छा जताई.
राज्यपाल से मिलकर खुश दिखें पन्नीरसेल्वम
पन्नीरसेल्वम जब राज्यपाल से मिलकर बाहर आए तो उनके चेहरे पर खुशी का भाव था. हालांकि उन्होंने मीडिया से सिर्फ इतना कहा कि उन्होंने राज्यपाल को वर्तमान राजनीतिक हालात से अवगत कराया है और न्याय की जीत होगी, लेकिन अब खबर आई है कि वे अपने साथ कई डॉक्यूमेंट भी लेकर गए थे.
पन्नीरसेल्वम जो डॉक्यूमेंट लेकर राज्यपाल के पास पहुंचे थे उनमें से एक में अपना इस्तीफा वापस लेने की इच्छा जताई गई थी, जबकि दूसरे में चेन्नई के पुलिस कमिश्नर के तबादले के आदेश की कॉपी थी.
इसके अलावा एक दस्तावेज में बताया गया था कि कैसे शशिकला को एआईएडीएमके का महासचिव बनाने में नियमों की अनदेखी की गई. एक दस्तावेज इस बात की मांग का भी था कि उन्हें बहुमत साबित करने के लिए पांच दिन का वक्त दिया जाए.
ये बात अलग है कि राज्यपाल से पन्नीरसेल्वम को कोई आश्वासन नहीं मिला. उनकी मुलाकात भी महज पांच मिनट चली, जबकि मुख्यमंत्री तकरीबन आधा घंटा तक राजभवन में रहे.