यूं तो सियासत में कोई अपना नहीं होता लेकिन देश के बाकी हिस्सों की तरह तमिलनाडु के राजनेता भी सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए रिश्तेदारों पर ही भरोसा करते हैं. इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब जेल जाने से ठीक पहले शशिकला ने अपने भतीजों टीटीवी दिनाकरन और एस वेंकटेश को पार्टी में दोबारा शामिल करवा लिया. अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि शशिकला खेमा दिनाकरन को मंत्री बनाने की तैयारी में था.
ऐसे कटा दिनाकरन का पत्ता
इन सूत्रों की मानें तो पलानीस्वामी मंत्रियों की जो लिस्ट राज्यपाल विद्यासागर राव के पास लेकर गए थे, उसमें दिनाकरन का भी नाम था. लेकिन गवर्नर ने उनके नाम पर ऐतराज किया. राव का कहना था कि उन्हें दिनाकरन को शपथ दिलाने से पहले कानूनी सलाह लेनी होगी. ऐसा इसलिए दिनाकरन के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं. लिहाजा पलानीस्वामी का शपथ ग्रहण टल सकता है. जाहिर है पलानीस्वामी ऐसा नहीं चाहते थे, लिहाजा दिनाकरन का नाम मंत्रियों की सूची से काट दिया गया.
कौन हैं दिनाकरन?
टीटीवी दिनाकरन शशिकला की दिवंगत बहन वनितामनी के बेटे हैं. वो फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं. दिनाकरन पहली बार सुर्खियों में 1996 में आए जब जयललिता ने अपने दत्तक पुत्र सुधाकरन की शादी में करोड़ों रुपये खर्च किये. दिनाकरन के भाई सुधाकरन से जयललिता ने कई साल पहले नाता तोड़ लिया था लेकिन दिनाकरन लंबे वक्त तक जयललिता के करीबी रहे. 1991 से 1995 के बीच उनके खातों में आय से ज्यादा रकम जमा की गई. उस वक्त जयललिता मुख्यमंत्री थी.
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ विदेशी मुद्रा नियमन कानून (FERA) के तहत केस दर्ज किया. ईडी के प्राधिकरण ने उनपर 25 करोड़ का जुर्माना लगाया था जिसे इस साल जनवरी में मद्रास हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. साल 2011 में पार्टी और सरकार के काम में दखल देने की शिकायतें मिलने के बाद जयललिता ने दिनाकरन और उनके भाईको पार्टी से निकाल दिया था. लेकिन शशिकला ना सिर्फ उन्हें पार्टी में वापस लेकर आईं बल्कि उन्हें उप-महासचिव भी बना दिया.