बेटे ने पिता से राजनीति का सबक सीखना चाहा, पिता ने उसे छत से कूद जाने को कहा, बेटा सीढ़ियों की ओर भागा लेकिन बहुत देर हुई छत तक नही पहुंचा, पिता ने अंदर जाकर माजरा देखा बेटा उनकी कुर्सी पर पैर पसारे सोया था, वो बेटा बड़ा होकर जीतनराम मांझी बना. हाल ही में जीतनराम मांझी ने शादीशुदा गर्लफ्रेंड के साथ घूमने को सही ठहराया है, उनके इस बयान के बाद अचानक उनके प्रशंसकों की संख्या बढ़ गई है. कुछ पूर्वाग्रहों के चलते अगर आप उनके प्रति सही राय नहीं बना पाए हों, तो आगे जानिए उनसे जुड़ी दस बातें और उनकी सीख जो आपको उनका फैन बना देंगी.
1. सच बोलने के लिए मौके का इंतजार मत कीजिये
बाढ़ आई है लोग भूखों मर रहे हैं और बचने के लिए चूहे तक खा रहे हैं, ऐसे में मांझी का बयान आता है कि इसमें नया क्या है. वो भी पहले चूहे खाते
थे. ये कोई अटपटा बयान नहीं है, जीतनराम मांझी ने गीता पढ़ रखी लगती है, कृष्ण ने भी कहा है सच कहने के लिए हर वक्त, सही वक्त होता है. मांझी ने सच
कहा, बजाय कोई राजनैतिक फायदा तलाशने के.
2. जनता से बड़ा कुछ नहीं
डॉक्टर अगर सही ढंग काम नही करेंगे, तो उनके हाथ काट लिए जाएंगे. किसे नहीं पता डॉक्टर, तो गांव जाने के नाम से भी भागते हैं, ऐसे में उनके ऐसे बयानों
से डॉक्टर खौफ खाएं और किसी की जान ही बच जाए, तो कुछ गलत है क्या?
3. विरोधियों का भी करो सम्मान
लालू-राबड़ी के राज को जंगलराज कहने पर भी मांझी को आपत्ति है, इससे दो निष्कर्ष निकलते हैं, पहला वो विरोधियों का भी सम्मान करते हैं, दूसरे
बिहार की जनता को देने के लिए उनके पास लालू यादव से भी ज्यादा कुछ है.
4. एक पैग देशी का काम मेरा रोज का
मांझी कहते हैं कोई दिन भर काम कर रात में एक पाव शराब पीकर सो जाता है, तो इसमें क्या गलत है? जिन राज्यों में शराबबंदी है, वहां के लोगों से पूछिए. मुख्यमंत्री ऐसे कहते हुए कितना भला लगता है. लोग समझते नहीं लेकिन इस बयान से सीधे दो विभागों को काम करने का हौसला मिलता है, आबकारी और स्वास्थ्य विभाग.
5. काम निकालो और सही काम के लिए सही वक़्त का इन्तजार करो
मांझी जब मंत्री थे तब गया स्थित उनके घर का बिजली बिल हर महीने 5,000 रुपये आता था. एक महीने बिल 25 हजार रुपये आ गया. तब उन्होंने अपने बेटे
को बिजली विभाग के अफसरों के पास भेजा और 25 हजार रुपये के बिल का सेटलमेंट 5,000 में करवाया. इस तरह 25 हजार का काम उन्होंने 10 हजार में
निबटा दिया, अपना हजारों का फायदा. बाद में सही मौके पर उन्हीं अधिकारियों पर आर्थिक अपराध इकाई का छापा डलवाया, इनके यहां से करोड़ों की संपत्ति
मिली, सरकार को करोड़ों का फायदा.
6. बी अ ट्रेंडसेटर
जीतनराम मांझी ने कई बार महादलितों से अपनी जनसंख्या बढ़ाने को कहा, बाद में उनकी इसी बात से प्रभावित हो. भागवत-सिंघल से प्राची-साक्षी तक ने ऐसे
बयान दे डाले, लेकिन ट्रेंडसेटर तो मांझी ही न साबित हुए?
7. होप न लुजवा करो जी
मांझी ने कहा ठोकर खाते-खाते वो सीएम बने हैं, एक दिन पीएम भी बन जाएंगे. कुल जमा बन्दा है मोटिवेशनल, संभाला भले बिहार भी न जा रहा हो पर
इरादे तगड़े हैं.
8. समय के साथ बदलते रहो
ओशो ने कुछ ऐसा ही कहा था 'धारणाएं न बनाएं, बदलते रहें, नए सच तलाशें.' मांझी ने भी वही किया, एक ओर वो किसी रोज एक पाव शराब रोज पीने को सही
कहते हैं, फिर कभी कहते हैं, शराब छोड़कर ही वो इतना आगे पहुंच पाए हैं. कभी वो कहते हैं घर पर भगवान की बजाय नीतीश कुमार की फोटो है, कभी कहते हैं
नीतीश उन्हें कठपुतली बनाना चाहते थे. जो कल का सच था, जरूरी नहीं कि आज भी वही सच हो, दर्शनशास्त्र को नीट गटक गए लगते हैं मांझी.
9. किसी को ज्यादा उड़ने मत दो
मांझी ने मोदी सरकार को 10 में 3 नम्बर दिए, नीतीश कुमार के पीएम बनने के दिवास्वप्न को धुआं-धुआं कर डाला, बीजेपी को कभी समर्थन देने के लिए
बुलाते हैं अगले रोज दुत्कार देते हैं. कुल जमा सबको जमीन पर लाकर रखते हैं मांझी.
10. खुद पर हो भरोसा
राजनीति में आज उनका कोई गॉडफादर नही है, जनता को वो ये कहकर चुप करा देते हैं कि सिर्फ तुम्हारे वोटों से मैं मुख्यमंत्री नहीं बना, वो हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करते नहीं दिखते, चापलूसी उनके स्वभाव में नहीं हैं, छोटे-मोटे मुद्दों पर फिजूल बयान देकर वक्त बर्बाद नहीं करते, विरोधी उन्हें भाव नहीं देते, पार्टी में उनके दुश्मन भरे पड़े हैं बावजूद इसके उनके तेवर विश्वविजेता सरीखे हैं, ये कहलाता है खुद पर भरोसा.
ऊपर लिखे तथ्य पढ़ अगर जीतनराम मांझी के प्रति आपकी राय बदली हो, तो हमारा प्रयास सफल रहा. यकीन मानिए ऐसा लिखते समय हम गंभीर थे और एक हाथ से अपनी हंसी नहीं रोके हुए थे.
(आशीष मिश्र पेशे से इंजीनियर और फेसबुक पर सक्रिय युवा व्यंग्यकार हैं)