स्वाइन फ्लू से सहमे देश को बढ़ते तापमान और टेमी फ्लू के चलते राहत मिली ही थी कि देश के सामने एक नया संकट आ खड़ा हुआ. अचानक देश के कोने-कोने से लोगों के एक साथ बीमार पड़ने की खबर आने लगी. दफ्तरों में अवकाश के लिए आए प्रार्थना पत्र तो यही कहते हैं.
पीड़ित इतने अशक्त हो गए कि रोजमर्रा के काम पूरे कर पाना संभव न रह गया. इस नई बीमारी का जन्म कब और कहां हुआ ये निश्चित तौर पर तो नहीं पता, लेकिन इस बीमारी के जन्म के समय के बारे में विशेषज्ञों में मतभेद जरूर है. कई इसे तब शुरू हुआ बताते हैं, जब भारत का मुकाबला क्रिकेट वर्ल्डकप के क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश से तय हुआ था. जबकि कई तब बताते हैं जिस दिन भारत ने बांग्लादेश को हरा दिया था. मतभेद चाहे जितने हों पर विशेषज्ञों के दोनों धड़े इस बात पर सहमत हैं की बीमारी ने वर्ल्डकप से बांग्लादेश के निकलते ही विकराल रूप ले लिया है.
सेमी फ्लू से ग्रस्त रोगियों के जो लक्षण बताए जाते हैं, उनमें प्रमुख हैं काम में मन न लगना, ऑस्ट्रेलिया के नाम से सिर में दर्द होना, न्यूज चैनल्स पर क्रिकेट आधारित रिपोर्ट्स बार-बार देखना, पिछले मैचेज की हाईलाइट्स देख मंद-मंद मुस्कुराना, किसी अन्य पीड़ित के साथ बार-बार आंकड़ों और संभावनाओं पर चर्चा करना और यू-ट्यूब पर बार-बार मौका-मौका वाला नया एड देखना.
जैसा कि पहले बताया गया इस बीमारी की चपेट में आने के बाद पीड़ित रोजमर्रा के काम पूरे करने योग्य भी नहीं रह जाता. इस धारणा को और बल यह तथ्य देता है कि कई कर्मचारियों ने कार्यस्थल से हफ्तों पहले अवकाश मांगना शुरू कर दिया. पिछले दो-चार दिनों में आंकड़ा और बढ़ता जा रहा है. यही हाल स्कूल-कॉलेज और उस हर स्थान या संस्था पर है, जहां काम के दिनों में उपस्थिति अनिवार्य है. ये साफ दर्शाता है कि रोग के बढ़ने के साथ कार्यक्षमता भी घटती जाती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि छब्बीस मार्च, जिस दिन सेमी फ्लू का प्रकोप सबसे अधिक होगा उस दिन पीड़ित इस लायक भी नही रह जाएंगे कि खुद उठकर एक गिलास पानी पी लें.
पास के ही एक ऑफिस में जाकर जब हमने जानना चाहा तो पता लगा गुप्ता जी जिन्होंने तीन वर्षों से एक भी छुट्टी नहीं ली थी वो भी इस बीमारी के चलते घर पर बैठने की तैयारी में हैं. यही हाल प्रसाद और वर्मा जी का भी है. मौके पर मिले एक कर्मचारी ने बताया कि शायद सबको पहले से पता है बीमार कब पड़ना है? ऑफिस में आज लोगों से ज्यादा अर्जियां आई हैं.
चूंकि अभी सिर्फ इस बीमारी के लक्षण खोजे गए हैं और इलाज नहीं मिल पाया है इसलिए डॉक्टर्स ने साफ कर दिया है कि पीड़ितों को छब्बीस मार्च को घर पर रहने दिया जाए. सुबह सात बजे उठने के चलते ब्रश न करने पर भी चाय दे दी जाए. सकारात्मक माहौल में रोग का निदान शीघ्र संभव हो पाएगा. खान-पान का ख्याल रखें. उन्हें पानी ज्यादा न दिया जाए ताकि मैच के बीच में बार-बार उठना न पड़े. सेमी फ्लू से पीड़ित व्यक्ति के हाथ से रिमोट न लें, आपात स्थिति के लिए इन्वर्टर या रेडियो की व्यवस्था करके रखें. ये पूछने पर कि ‘ऑस्ट्रेलिया के हारने पर यदि भारत फाइनल में पहुंच गया तो क्या ये बीमारी लौटकर तो नहीं आएगी?’ डॉक्टर्स का कहना था 'नही! तब कोई बीमार नहीं पड़ेगा, उस दिन तो खुद ही रविवार है!!'