[मीसा भारती ड्राइंग रूम में बैठी हैं. सामने राबड़ी देवी भी बैठी हुई हैं. आस-पास के कई लोग भी जुटे हैं. कुछ खड़े हैं, कुछ बैठे हैं. मीसा भारती के फोटो को लेकर हार्वर्ड की ओर से जारी बयान से सभी गुस्से में हैं. मीसा चुप हैं. सबसे ज्यादा गुस्से में राबड़ी देवी हैं]
हार्वर्ड के बयान को झुठलाते हुए राबड़ी बोलती हैं, 'बताओ भला. इतना झूठ बोलते हैं इ हर्वर्डवा वाले. अरे, फोटो भी झूठ बोलता है का भला?'
(सभी लोग एक दूसरे की ओर देखते हैं. राबड़ी समर्थन में सभी हां में हां मिलाते हैं.)
राबड़ी की आवाज तेज हो जाती है. गुस्से में कहती हैं, 'उन सबों को नहीं दिखता क्या? फोटो में साफे दिखता है कि मीसा माइक पर भाषण दे रही है. कोई पहली बार भाषण दे रही है का? अभी चुनावे में केतना भाषण दिया था. अइसा भाषण दिया था कि रामकिरपालो परेसान हो गए थे.'
(बातचीत चल ही रही है कि लालू यादव की एंट्री होती है. पहले से ही गुस्से में हैं और सबको मुंह लटकाए देख कर गुस्सा और बढ़ जाता है.)
'लाओ, फोन लाओ. लगाओ तो जरा.'
(लालू के बोलते ही वहां खड़ा एक लड़का दौड़ कर फोन के पास पहुंचता है)
'कहां मिलाना है साब?'
'हार्वर्ड. सीधे हार्वर्ड मिलाओ.'
'हलो...'
'हेलो, हेलो'
'हलो. हम लालू यादव बोल रहा हूं. पटना से.'
'यस सर! यू वॉन्ट टू स्पीक...'
'लालू यादव... नहीं जानते?'
'यस सर, यस सर. नो सर.'
'अछा, अछा. कौनो आफीसर है तुम्हरा वहां?'
'यस सर.'
(लाइन पर होता तो हार्वर्ड का एक ऑफीसर ही है, फिर भी वो अपने जूनियर स्टाफ को झट से फोन थमा देता है.)
'हलो, हलो. कौन साहब?'
'हम लालू यादव, पटना से.'
'प्रणाम सर. हम बुधन. बुद्धिनाथ सर. आपके घर पर काम करते थे सर. आजकल यहां हैं. आप कइसे हैं सर?'
'वाह बुधना. तू अफसर हो गया. चल बढ़िया है. अछा सुन. ई मीसा गई थी हार्वर्ड. पता है?'
'जी सर. असल में... अइसा है सर कि... ऊ...'
'सुन. अइसा-वइसा नहीं. उसका हेड है वहां पर? तनी उसको समझाओ कि जब हम रेल मंत्री थे तो उनका बच्चा लोग पढ़ने तो हमरे पास ही आता था न. आता था कि नहीं?'
'जी सर.'
'दुनिया जाहां मन ताहां से सेल्फी ले रही है. हमरी बेटी तो टिकट लेकर गई थी. और एक फोटो ले लिया तो तूफान मच गया?'
'जी सर'
'देखो हम लोग सेकुलर लोग हैं. तुम कम्युनल फोर्सेज के बहकावे में मत आओ. आखिर मोदी जी ह्वाइट हाउस से सेल्फी लिए थे कि नहीं. चुनाव में फोटो देखे थे कि नहीं?'
'जी सर'
'बात सुन. तनी हार्वर्ड के हेड को फोन देना तो.'
'सर अभी तो बाहर हैं. उनके पीए हैं सर. बात कराता हूं'
(मुश्किल ये है कि पीए है तो बिहार का ही लेकिन बचपन में ही मां-बाप के साथ बाहर चला गया. वो हिंदी समझ तो लेता है लेकिन बोल नहीं पाता. फोन पर बात करे तो कैसे? फिर बुद्धिनाथ समझाते हैं कि वह स्पीकर फोन ऑन करके बात करते हैं - फिर अंग्रेजी में उसे समझा देंगे.)
'बोलिए सर. पीए जी लाइन पर हैं.'
'देखो. हमरा बात कान खोल के सुन लो. अपने साहब को समझा देना. हम बिहार से टैलेंट एक्सपोर्ट बंद करा देंगे. तुम लोगों का बिजनेस सिर्फ बिहारे के भरोसे चलता है. मालूम है कि ना तुमको.'
'यस सर'
'अभी तुम्हरे साथ जो बुधना है, ऊ भी हमरे इहां का ही है. समझे की नहीं?'
'यस सर'
'तुम कहां के हो? तुम भी बिहार के ही होगे, पता है मुझे. वहां कौन कहां का है सब पता है मुझे.'
'यस सर'
'तो ठीक है फिर. समझा देना साहब को. ओके?'
'फाइन सर.'
(लालू यादव पीए को खूब झाड़ते हैं. फिर अचानक ड्राइंग रूम से उठकर बाहर लॉन में चले जाते हैं. शायद कुछ ऐसी बात है जो सबके सामने नहीं बोल पा रहे हों. करीब 10 मिनट बाद अंदर आते हैं और कॉर्डलेस टेबल पर रखते हैं. जिस तरीके से लालू ने फोन पर हार्वर्ड के हेड के पीए को हड़काया है उससे लोगों को काफी राहत मिली है. अगले दस मिनट के भीतर ही फोन की घंटी बजती है. फिर वही लड़का फोन उठाता है. फोन हार्वर्ड से ही है. लड़का स्पीकर ऑन कर देता है. लाइन पर हार्वर्ड के हेड हैं. मीसा से माफी मांगना चाहते हैं.)
'हेलो. मीसा जी. आ' यू देअ'...?
(सब लोग चुपचाप हैं. तभी...)
'मीसा जी. माफ क दीं, मीसा जी. हमनी से गलती हो गइल हा. आगे से ना होई.'
(सब लोग खुशी से उछल जाते हैं. मीसा हाथ उठाकर दोनों उंगली से विक्ट्री साइन प्रदर्शित करती हैं. लोक सभा चुनाव के बाद ऐसा न कर पाने अफसोस भी खत्म हो चुका है.)