इस मुल्क में ऐसा विरले ही होता है . जिस देश में तय समय के घंटों बाद लोग नहीं पहुंचते वहां 'आप ' कार्यकारिणी की बैठक वक्त से एक घंटा पहले ही शुरू हो गई. (वो भी तब जब बैठक तय तारीख से एक दिन पहले बुलाई गई थी.) असल में कार्यकारिणी के ज्यादातर सदस्य दो घंटे पहले ही पहुंच चुके थे. बस केजरीवाल का इंतजार हो रहा था. वक्त के पाबंद केजरीवाल पहुंचे तो घंटा भर पहले ही, लेकिन बाकियों के मुकाबले वो ही एक घंटा लेट हो गए. खैर, सभा की कार्यवाही की विधिवत घोषणा की गई.
तमाम मामलों (सचिवालय में मीडिया की एंट्री को छोड़कर) में पारदर्शिता के पक्षधर केजरीवाल ने 'बंद कमरे में मीटिंग' की सदस्यों की सलाह को दरकिनार करते हुए इसे खुले आकाश के नीचे रामलीला मैदान में रखने का फैसला किया. रामलीला मैदान से पेश है आप कार्यकारिणी की लाइव रिपोर्ट.
अरविंद केजरीवाल - साथियों...
(संकेत समझते ही एक कार्यकर्ता अदरक वाली कॉफी लाकर देता है. लोग बैठने के लिए कहते हैं. तबीयत ठीक नहीं है इसलिए केजरीवाल लोगों की बात मान जाते हैं. मग से एक-दो घूंट कॉफी पीने के बाद बोलना शुरू करते हैं.)
साथियों, मैं कह चुका हूं कि मुझे इस झगड़े में नहीं पड़ना. मुझे दिल्ली पर फोकस करना है. हम लोगों की उम्मीदों से खिलवाड़ नहीं कर सकते. पर एक बात मैं फिर से साफ कर देना चाहता हूं. पहले मैं अक्सर बोला करता था, "मेरी कोई औकात नहीं है." ये 'आप' कार्यकर्ताओं के लिए सबसे बड़ा मंत्र है. इधर बीच मैंने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया था. मुझे लगा सब लोग इस बात को समझ गए होंगे. लेकिन लगता है ये बात कुछ लोगों के पल्ले नहीं पड़ी है. 'आप' कार्यकर्ताओं के मन में हरदम ये बात गूंजती रहनी चाहिए - 'मेरी कोई औकात नहीं है.' समझ रहे हैं न 'आप' के माननीय सदस्य गण. जब तक आप लोग ये मंत्र आत्मसात किए रहेंगे तब तक 'आप' का भला होगा. हम लोग बाकी पार्टियों से बिलकुल अलग हैं. हमें उनकी तरह नहीं बनना. हम लोकतंत्र का आदर करते हैं. मैं आप को समझाना चाहता हूं कि 'सब लोग औकात में रहें' लेकिन मैं ऐसा भाषा के इस्तेमाल से परहेज करता हूं.
एडमिरल रामदास - मैंने पत्र लिख कर कुछ सवाल उठाए हैं. मैं चाहूंगा कि उन सवालों का...
(संजय सिंह बीच में ही टोक देते हैं)
संजय सिंह - सवाल गए ते* लेने. जब नेताजी ने कह दिया कि सब लोग औकात में रहें तो फिर सवाल किस बात के. कौन से सवाल? यहां सवाल उठाने की किसी को कोई जरूरत नहीं है. जिसे सवाल उठाना है वो जाकर मीडिया में सवाल उठाए. जब नेताजी ने 'औकात वाली बात' आपको सरल शब्दों में समझा दी उसके बाद फिर क्या कंफ्यूजन है? ये कार्यकर्ताओ के लिए मंत्र ही नहीं - यही हमारी पार्टी लाइन है. पार्टी लाइन बोले तो - पार्टी की टैगलाइन. समझ गये सब लोग.
(केजरीवाल चुप रहते हैं. शायद उनका मानना है कि बोलने का हर किसी को हक है. इसलिए संजय सिंह तब तक बोलते हैं जब तक उनका मन करता है.)
प्रशांत भूषण - देखिए, मेरा ये कहना है कि...
(प्रशांत भूषण को बीच में काट कर आशीष खेतान शुरू हो जाते हैं. लोकतंत्र में हर किसी को बोलने की छूट है. आखिर इसी लोकतांत्रिक ढांचे से ही तो संगठन मजबूत रहते हैं. केजरीवाल शायद बोलते तो यही बोलते इसलिए चुप रहते हैं.)
आशीष खेतान - देखिए, ये कोई डेल्ही डायलॉग का फोरम नहीं है. यहां हम लोग गंभीर मुद्दे डिस्कस करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. सवाल ये नहीं है कि किसने चिट्ठी लिखकर क्या सवाल उठाए हैं. सवाल ये है कि जिसने हमे सवाल पूछने के लायक बना दिया उसी से लोग सवाल पूछने लगते हैं. अब ये क्या सवाल है कि अरविंद केजरीवाल को एक साथ दो पदों पर नहीं रहना चाहिए. मुख्यमंत्री तो वो सिर्फ नाम के ही हैं. असली मुख्यमंत्री तो मनीष सिसोदिया ही हैं. सारे मंत्रालय किसके पास हैं?
(बैठक में बैठे लोग एक साथ बोलते हैं, 'माननीय मनीष सिसोदिया जी के पास'. मनीष सिसोदिया खेतान की बात पर हल्का सा मुस्कराते हैं फिर गंभीर हो जाते हैं. शायद वो वक्त की नजाकत को ठीक से समझते हैं. आशीष खेतान जारी रहते हैं.)
आशीष खेतान - फिर, सवाल पूछने का क्या मतलब है? देखो, आप सभी से मेरी हाथ जोड़ कर अपील है कि ये फालतू के सवाल बंद करो और काम में जुट जाओ. डेल्ही डायलॉग में बड़ी मेहनत हुई है, तभी ये नतीते हासिल हुए हैं. कुछ लोग मिलकर इसका कबाड़ा मत करो. अरविंद ने साफ साफ कह दिया है कि औकात में रहना है तो रहना है वरना ये खुला मैदान है. बाहर जाने के लिए दरवाजा नहीं खोजना है.
(किनारे बैठे आशुतोष उठकर खड़े होते हैं और घोषणा करते हैं. अब वक्त हो चला है एक ब्रेक का. मिलते हैं ब्रेक के बाद.)
अरविंद केजरीवाल - मैं योगेंद्र यादव जी का बहुत सम्मान करता हूं. थोड़ी उम्र ज्यादा होती तो उन्हें अन्नाजी की तरह पिता जैसा भी बताने में परहेज नहीं करता. योगेंद्र जी और प्रशांत जी मेरे बड़े भाई की तरह है, ठीक वैसे ही जैसे किरण बेदी जी मेरी बड़ी बहन जैसी हैं. मैं सभी का अन्नाजी की तरह ही सम्मान करता हूं.
(संजय सिंह काफी देर से अरविंद केजरीवाल की बातों में कट-प्वाइंट खोज रहे होते हैं. मौका मिलते ही तपाक से उठ खड़े होते हैं.)
संजय सिंह फिर से - थैंक्यू नेताजी. दोस्तों, अब आप सभी को एक टेप सुनाया जाएगा. इसे जान पर खेल कर हमारे एक साथी ने स्टिंग ऑपरेशन में रिकॉर्ड किया है. इस टेप में योगेंद्र यादव जी रंगे हाथ पकड़े गए हैं. मैं तो कार्यकारिणी से मांग करता हूं कि योगेंद्र यादव को पब्लिक अफेयर्स कमेटी यानी पीएसी से फौरन हटाया जाए. हमे पता है कि ये साजिश वो अकेले नहीं रच सकते. इसमें प्रशांत भूषण का भी जरूर हाथ होगा. इसलिए प्रशांत भूषण को भी पीएसी से बाहर किया जाए.
(टेप चलाया जाता है. सोशल मीडिया पर ये टेप पहले ही वायरल हो चुका है. फिर भी लोग पूरी शिद्दत से टेप की बात सुनते हैं.)
योगेंद्र यादव - मेरे मित्र संजय सिंह जी...
संजय सिंह - आपको मुझे मित्र बताने की कोई जरूरत नहीं है. जो अरविंद का दुश्मन हो वो मेरा मित्र बिलकुल नहीं हो सकता. मैं बता देता हूं. फिर से मेरा नाम मत लियो. औकात में रहो तो अच्छा है. ये पार्टी का टैगलाइन है और हर किसी को इसे मानना जरूरी है. जो इसे नहीं मानेगा उसे अनुशासहीनता का दोषी माना जाएगा.
योगेंद्र यादव - मैं आपकी बात मानता हूं. मैं तो बस इतना कहना चाहता हूं कि...
आशीष खेतान - आप क्या कहना चाहते हैं, ये हमको मालूम है. लेकिन आप जो कर रहे हैं वो ठीक नहीं कर रहे हैं. आप पार्टी लाइन को क्रॉस कर रहे हैं. आप 'औकात' भूल रहे हैं.
योगेंद्र यादव - भाई मैं तो बस इतना...
आशीष खेतान - कोई जरूरत नहीं है मुझे अपना भाई बताने की. जो अरविंद का भाई नहीं वो मेरा भाई कैसे हो सकता है. न तो मुझे आप जैसे भाई की जरूरत है और न पार्टी को किसी विभीषण की. मैं बता रहा हूं आपको. आप फिर पार्टी लाइन से अलग जा रहे हो.
(रामदास और योगेंद्र यादव एक दूसरे की ओर देखते हैं. दोनों की आंखों में सवाल वैसे ही हैं. तभी मनीष सिसोदिया उठ खड़े होते हैं.)
मनीष सिसोदिया - साथियों, अरविंद की तबीयत थोड़ी नासाज है. उन्हें आराम की जरूरत है. अरविंद के छुट्टी से लौटने के बाद फिर मुलाकात होगी. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
(मनीष सिसोदिया, केजरीवाल की तरफ देखते हैं. दोनों गाड़ी की ओर बढ़ जाते हैं. एक बार फिर रामदास और योगेंद्र की नजर मिलती है. आंखों में सवाल अब भी मौजूद हैं. क्या सवालों का जवाब पार्टी की टैगलाइन है? नया सवाल खड़ा हो गया है.)