नरेंद्र मोदी फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं . जी नहीं, चौंकने की जरूरत नहीं है. चौंकाने वाली बात ये है कि मोदी ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद ऑफर किया है. ये पहल और पेशकश मोदी ने उस वक्त की जब नीतीश कुमार गंगा को लेकर मुख्यमंत्रियों की एक बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली आए थे. नीतीश कुमार को इस बारे में सोच समझ कर फैसला करने को कहा गया है.
नीतीश के लिए नया आइडिया
देखने वाले तो यही बताते हैं कि गजब का नजारा था. नीतीश कुमार इतने भाव-विह्वल तो उस दिन भी नहीं हुए थे, जब बरसों बाद वो लालू प्रसाद यादव से मिले. जब आमना सामना हुआ तो इस बार भी मोदी ने ही हाथ बढ़ाया. पहले तो देर तक दोनों पूरे लय में हाथ मिलाते रहे - बल्कि मिल कर हाथ हिलाते रहे. फिर जैसे अचानक याद आया और झटके से एक दूसरे को खींच कर गले मिले. तेजी तो ऐसी थी कि लगा बराक भी दोस्ती की इस रेस में काफी पीछे छूट गया हो. बेचारा बराक. जुबां चुप थी, बातें आंखों से हो रही थी. पल भर के लिए ही सही, लगा जैसे फिर से किसी ने बोल दिया, 'बस कर पगले रुलाएगा क्या?' आवाज किसकी थी, कोई समझ न सका?
फिर नीतीश बोले, 'टीवी वाली बाइट पर मत जाइए. मुझे प्रपोजल मंजूर है. भूल चूक लेनी देनी. अब आगे से ऐसा नहीं होगा. बिहार के लिए मैं फिर से गठबंधन को तैयार हूं.' 'लेकिन मैं तो तैयार नहीं हूं ना,' मोदी ने साफ मना कर दिया, 'ये सब आप भूल जाइए. देखिए मेरे पास सबके लिए कोई न कोई धांसू आइडिया होता है. मैंने आपके लिए भी सोच रखा है. बस, आप सोच लीजिए. आखिर फैसला तो आपको ही करना होगा.'
नीतीश को मोदी के ऑफर
मोदी ने नीतीश को तीन ऑफर दिये. और दाद देनी पड़ेगी हिम्मत की. वाकई ऐसे विचित्र किंतु सत्य टाइप ऑफर मोदी ही दे सकते हैं, धीरे धीरे करके ज्यादातर लोग अब ये बात मानने लगे हैं.
ऑफर नंबर 1: मोदी ने नीतीश से कहा कि वो चाहें तो तत्काल प्रभाव से रेल मंत्री बन सकते हैं. जिस तरह से सुरेश प्रभु को शिवसेना से उठाकर, मुंबई से बुलाकर उसी दिन बीजेपी ज्वाइन कराया गया और शाम तक मंत्री बना दिया गया - उसी तरह नीतीश के लिए भी किया जा सकता है. सुरेश जी को कुछ और दायित्व सौंपा जा सकता है.
ऑफर नंबर 2: मोदी का दूसरा ऑफर सुनकर तो लगा नीतीश गश खाकर गिर पड़ेंगे, लेकिन जैसे तैसे उन्होंने खुद को संभाल लिया. मोदी बोले, 'आप चाहें तो मैं अभी आपको प्रधानमंत्री पद ऑफर कर सकता हूं.' फिर मोदी ने बताया कि ये ऑफर विधान सभा चुनाव से पहले तक ही वैलिड है. उसके बाद वो कुछ नहीं कर सकते. नीतीश को कुछ भी नहीं समझ में आ रहा था. फिर मोदी ने विस्तार से समझाया.
मोदी ने बताया कि इसके लिए सरकार एक ऑर्डिनेंस लाएगी जिसमें नया प्रावधान होगा. नई व्यवस्था में राज्यों में मुख्यमंत्री का पद खत्म कर दिया जाएगा और वहां उनकी जगह प्रधानमंत्री का पद होगा. तर्क ये है कि मुख्य पद तो एक ही होना चाहिए - लिहाजा प्रधानमंत्री पद का नाम बदल कर मुख्यमंत्री कर दिया जाएगा. फिर देश में सिर्फ एक मुख्यमंत्री होगा और बाकी सारे प्रधानमंत्री. मोदी दूसरी पार्टियों के मौजूदा मुख्यमंत्रियों को भी ऐसा ऑफर देने वाले हैं. इससे से हर किसी के प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा हो जाएगा - और सबके सब मोदी के अहसानमंद होंगे.
ऑफर नंबर 3: तीसरा ऑफर सिर्फ और सिर्फ नीतीश के लिए था. लेकिन इसके लिए नीतीश को 2024 तक इंतजार करना पड़ेगा, जब तक मोदी खुद प्रधानमंत्री बने रहेंगे. उसके बाद मोदी संविधान संशोधन करवाकर अपने लिए नये पद का गठन कराएंगे. ये नया पद हेड ऑफ द स्टेट होगा, जिसके पास सारे अधिकार होंगे.
बताने वाले बता रहे हैं कि मोदी ने ऑफर के साथ नीतीश को 15 दिन का वक्त दिया है. गेंद अब नीतीश के पाले में है, जबकि लड्डू मोदी के दोनों हाथों में.
मोदी का मास्टर स्ट्रोक
जानकार बताते हैं कि मोदी ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं. नीतीश को ये ऑफर देकर मोदी ने न सिर्फ बिहार में बीजेपी के लिए रास्ता आसान बनाने की कोशिश की है बल्कि अस्तित्व में आने से पहले ही जनता परिवार को टारगेट किया है. नीतीश की पार्टी जेडीयू जनता परिवार की एक मजबूत कड़ी है.
जम्मू कश्मीर की तर्ज पर बिहार को विशेष दर्जा देने के बाद मोदी इसे आनेवाले विधानसभा चुनावों में भुनाने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही अब धारा 370 के पक्ष और विपक्ष में उठने वाली सारी आवाजें अपने आप खामोश हो जाएंगी.
माना जाता है कि मोदी को मुख्यमंत्री पद जितना खुशनुमा अहसास देता है उतना प्रधानमंत्री पद नहीं देता. तर्क ये है कि मोदी सार्वजनिक मंच से कह भी चुके हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री के बजाए प्रधान सेवक के तौर पर देखा जाए तो उन्हें ज्यादा खुशी होगी.
मूर्ख दिवस का नया फंडा
अब 1 अप्रैल हास-परिहास का विषय नहीं बल्कि एक सीरियस अफेयर होगा. सरकार ने इसके सकारात्मक पक्ष को दुनिया के सामने लाने का फैसला किया है. जिस तरह भूटान में तरक्की का पैमाना 'हैपिनेस इंडेक्स' के जरिये मापा जाता है, उसी तरह देश में 'फूलिशनेस इंडेक्स' लाकर इसे संजीदा कलेवर देने की तैयारी है. '1 अप्रैल कमेटी' के ड्राफ्ट पर अगर कैबिनेट की मुहर लग गई तो दुनिया का पहला 'फर्स्ट एप्रिल कमीशन' अस्तित्व में आ जाएगा. जाने माने न्यायविद् जस्टिस मार्कंडेय काटजू को इस कमीशन का पहला चेयरपर्सन बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है. सरकार की तरफ से इसके लिए कराई गई ऑनलाइन वोटिंग में काटजू के बयान, '90 फीसदी भारतीय मूर्ख होते हैं' को दुनिया भर में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं.
देशवासियों को बधाई
ये पहला मौका है जब प्रधानमंत्री ने देशवासियों को '1 अप्रैल' की बधाई दी है. ट्विटर पर अपने बधाई संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा, 'मित्रों, अब तक आपने जो भी देखा वो महज एक ट्रेलर था. हकीकत में अच्छे दिन अब आने वाले हैं. भाइयों-बहनों ये कोई चुनावी जुमला नहीं है, ये तो मेरे मन की बात है. हैप्पी एप्रिल फूल डे.'