धर्मांतरण को आप हैदर के उदाहरणों से समझें. बेटे ने मां-बाप को मारा और जज से यतीम होने के चलते रहम की दरख्वास्त की या लुटेरे ने बैंक लूटा और अगले काउंटर पर जाकर खाता खोलने को फॉर्म मांग डाला. कुछ ऐसा कि वो न होते तो, ये वो क्यों होते और वो फिर ये क्यों हो जाते? लेकिन अब समझना होगा कि वो भी रहेंगे और ये भी रहेंगे और जिन्हें जो रहना-होना हो रहने दिया जाए.
किसी के धर्म बदलते ही सबसे पहली जो बात होती है वो ये कि छोड़ा हुआ धर्म एक झटके में खतरे में आ जाता है, भले ही पहले उस धर्म में होकर वो फाके करें किसी को फर्क नहीं पड़ता लेकिन धर्म छोड़ते ही एक इंसान पूरे धर्म के लिए इतना महत्वपूर्ण हो जाता है? दूसरी ओर जो धर्मप्रचारक धर्मांतरण करा दूसरे धर्म के लोगों को अपने धर्म में लाते हैं. उन्हें ये समझ नहीं आता कि जो कुछ लाख या एक राशन कार्ड के लिए धर्म बदलने को तैयार हो जाएं वो उनके धर्म का क्या भला करेंगे?
Reasoning में इसे Neither Nor condition भी कहते हैं. धर्मांतरण किराए का कमरा बदलने जैसा होता है. किराएदार रसोई में वॉश बेसिन और बड़े हॉल के लालच में कमरा बदलता है और उसे जाते देख पहला मकान मालिक जो अब तक सिंक की फूटी पाइप तक नहीं लगवाता था, पूरे घर की मरम्मत को तैयार हो जाता है.
गांवों में एक मजाक चलता है. कोई बहकी-बहकी बातें करें तो उसे आगरा भेजने की बातें होती हैं. वहां पागलखाना है न! पागलखाने वाली लाइन को दोबारा पढ़ें, इस बार दूसरी वजह को ध्यान में रखकर. आगरा में हुए धर्मांतरण के बाद हो-हल्ला कुछ इस कदर मचा है जैसे मैकेनिकल ब्रांच में इक्का-दुक्का एडमिशन लेने वाली लड़कियों के ब्रांच बदलकर इलेक्ट्रिकल में जाने पर मैकेनिकल के लड़के मचाते हैं, इस हो-हल्ले में कुछ जायज सवाल छूट रहे हैं उन्हें उठाना जरूरी है.
मुसलमान से हिन्दू बने लोगों को ब्राह्मण बनाया जाता है या वैश्य? धर्म बदलने पर क्या आरक्षण का लाभ मिलता है? मानिए किसी को ब्राह्मण बना दिया गया तो सरयूपारीण या मैथिल? फिर उन्हें तीन में रखा जाता है, तेरह में या सवा लाख में? ऐसे ही जो हिन्दू मुसलमान बनते हैं उन्हें शिया मानते हैं या सुन्नी? जोलहा या कोटवार? ये सवाल मौजू हैं क्योंकि धर्म बदलने के बाद यही सवाल सामने होंगे.
चलते-चलते- आगरा धर्मांतरण मामले में लालच और डराने-धमकाने की बातें कहीं जा रही हैं. लालच अगर साल भर फ्री अनलिमिटेड थ्री जी डाटा और डर रोहतक की ‘तहसील खुर्द ग्राम खरखोदा’ वाली बहनों के बेल्ट से पिटाई का,तो कौन बेचारा न धर्म बदल लेगा?