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व्यंग्यः दिल दहलाने वाली खबरों पर कब लगेगी लगाम?

आईआईटी बॉम्बे की एक छात्रा को फेसबुक ने दो करोड़ की जॉब ऑफर की है. इस खबर के बाद बेरोजगार घर बैठों की जिन्दगी में तूफान आया हुआ है. कैम्पस सलेक्शन का सीजन पूरी तरह से सपनों से जुड़ा होता है, कुछ के सपने पूरे होते हैं और कईयों के लिए दु:स्वप्न साबित होते हैं, ये ‘कई’ वही होते हैं जो सेमेस्टर एग्जाम में पछाड़ और कैम्पस सलेक्शन में नकार दिए जाते हैं.

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आईआईटी बॉम्बे की एक छात्रा को फेसबुक ने दो करोड़ की जॉब ऑफर की है. इस खबर के बाद बेरोजगार घर बैठों की जिन्दगी में तूफान आया हुआ है. कैम्पस सलेक्शन का सीजन पूरी तरह से सपनों से जुड़ा होता है, कुछ के सपने पूरे होते हैं और कईयों के लिए दु:स्वप्न साबित होते हैं, ये ‘कई’ वही होते हैं जो सेमेस्टर एग्जाम में पछाड़ और कैम्पस सलेक्शन में नकार दिए जाते हैं.

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इनके लिए और बुरा अनुभव वो होता है जब सुनने को मिले कि हाल ही में आईआईटी कानपुर के तीन छात्रों को 93 लाख का पैकेज मिला. और आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने 1.25 लाख डॉलर के सालाना पैकेज को ठुकरा दिया. सोचिये ऐसी खबरों से उन पर क्या बीतती होगी जिन्हें ठुकराने की बात दूर इन्टरव्यू देने को कोई कम्पनी नही मिलती?

मीडिया की कुछ नैतिक जिम्मेदारियां बनती हैं. ध्यान रखना चाहिए कि किस खबर का समाज में कैसा असर पड़ रहा है. फेसबुक पर किसी को नौकरी मिल जाए तो और बुरा लगता है प्रोफाइल पिक्चर पर सौ लाइक भी आ जाएं तो ख़ुशी मिलना बंद हो जाती है. ‘कोलोन p’ वाली हर स्माइली खुद को ही मुँह चिढ़ाती लगती है. फर्ज कीजिए कि रात के खाने के वक्त टीवी पर करोड़ों की सैलरी वाली खबर चल रही हो और इधर बीटेक के बाद एमबीए कर चुके बच्चे का रोटी गटकना तक मुहाल हो रखा है.

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खबरें तो ठीक पर ऐसी खबर किस काम की, जो किसी का जीना मुश्किल कर दे? ऐसे में कोई कौर डालने को भी मुँह खोल दे तो लगता है ‘और बेटा तुम्हारी जॉब का क्या हुआ?’ वाला सवाल जिन्न बनकर बोतल से निकलने वाला है. जबकि सवाल तो ये बनता है कि ऐसी दिल दहलाने वाली ख़बरों पर कब लगेगी लगाम?

जो बेरोजगार हैं उनके लिए सबकुछ बुरा भी नही है. मेलबॉक्स खोलते ही पता चलता है दुनिया इतनी बुरी भी नही है और वो इतने नाकारा भी नहीं. कितने तो भलमानुष उनकी योग्यता को बटोरने के लिए पीले चावल लिए खड़े हैं. श्रीमान गौरव दो हफ्ते से अमुक कम्पनी के लिए सिर्फ आपका इन्टरव्यू लेने को अंग्रेजी नाम वाले होटल की तीसरी मंजिल पर डेरा डाले बैठे हैं. मिस तनिषा चार महीने में दसवां आखिरी अलर्ट दे चुकी हैं कि अगर इच्छुक हैं, तो उनकी अमुक कम्पनी में डेढ़ लाख रूपए महीने की नौकरी का मौका हाथ से जानें न दें. कभी-कभी इंसान खुद सोच में पड़ जाता है कि इन तमाम भले लोगों को बिना कहीं रजिस्टर किए ई-मेल पता मिल कहाँ से जाता है?

धर्म संकट तब खड़ा होता है, जब बेरोजगारी के चर्चे मैसाचुसेट्स और साउथ कैरोलिना तक पहुँच जाते हैं और वहां से श्रीमान जोनासन आपको आमंत्रित करने लगते हैं. लेकिन इतनी शिद्दत से कमाई देशी बेरोजगारी को छोड़ परदेस कौन जाए? इससे अच्छा मन मार के ‘दो करोड़ की नौकरी लगी है उसकी फेसबुक पर, वो भी इंसान ही है, तू फेसबुक बस चलाना, अब तो शर्मा जी का लड़का भी कमाने लगा है’ सुनना लगता है.

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(आशीष मिश्र पेशे से इंजीनियर और फेसबुक पर सक्रिय व्यंग्यकार हैं.)

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