मकर संक्रांति पर जब सारा देश सूर्य के उत्तरायण होने और ठंड कुछ कम होने की आशा में खुशियां मनाते हुए तिल गुड़ खा रहा था , तब कुछ लोग ऐसे भी थे जो सुबह से घर की छतों पर डेरा डाले हुए थे.
ये कुछ वो सयाने थे, जो जोड़ों का दर्द सहलाते मोजे- कनटोप खोल रहे थे. बाकी सारे वो लोग जो कन्नी-मंझा-पतंग लिए बैठे थे. सिर्फ आम छतों पर ही नही राजनैतिक छतों पर भी सरगर्मी नजर आ रही थी. बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, आम आदमी पार्टी, शिवसेना, जनता दल परिवार, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस सभी पार्टियों की छतों पर अच्छी-खासी चहल-पहल थी.
मोदी की पतंग: छप्पन इंच की मोदी की पतंग अब तक लगभग सब की पतंग एक-एक बार काट ही चुकी थी. अब तक जितनी भी पतंगे काटकर मोदी लूट लाए थे. उन्हें कुछ मुंहलगे पतंगों की घर वापसी बता रहे थे. खिसिया के मोदी जी को कहना पड़ा अगर तुम चुप न रहे तो मैं पतंग उड़ाना छोड़ दूंगा. इस सब से दूर राजनाथ सिंह लाई के लड्डू चबा रहे थे. आडवाणी जी मार्गदर्शक मंडल में होकर भी ‘ढील-छोड़ इधर से काट’ कहने से खुद को रोक रहे थे. कहीं से सुब्रमण्यम स्वामी भी आ पहुंचे जो हर्षवर्धन और निशंक को बताए पड़े थे कि कैसे पतंग की खोज भारत में सदियों पहले हो चुकी थी. स्मृति ईरानी मोबाइल पर होरोस्कोप की अपडेट ले रही थीं. मोदी जी पतंग उड़ाने की तयारी में थे, अमित शाह कन्नी दे रहे थे. मकर संक्रांति की बधाई देने आये अंबानी ने जैसे ही सौजन्यवश घिर्री पकड़ी दूसरी छत से केजरीवाल ‘सब मिले हुए हैं जी’ चिल्ला पड़े.
मुलायम सिंह यादव: मुलायम सिंह यादव की छत अभी-अभी आजम खान की भैंसों के गोबर से लीपी गई थी इसलिए फिसलन बहुत थी लेकिन बयानों से ज्यादा नहीं. मुलायम सिंह अखिलेश यादव को पीछे खड़ा कर अपनी छत पर पतंग उड़ा रहे थे. लेकिन अखिलेश का सारा ध्यान टोरेंट पर डाउनलोड लगा रखी नई फिल्म पर लगा था. लालू यादव घिर्री पकड़े खड़े थे. बड़ा पारिवारिक माहौल था. नीतीश कुमार शरद यादव की जांघ पर हाथ मार-मार जीतनराम मांझी की बातों पर हंसे जा रहे थे. पतंग थी दल था परिवार था बस जनता कहीं नजर नहीं आ रही थी. मुलायम जी की पतंग हरे रंग में रंगी थी पूछने पर बताया कि सारे बाजार में एक यही सेक्युलर पतंग मिली. बाकी सब की पतंगे पहले ही लुट चुकी थीं. सिर्फ नीतीश कुमार की बाकी थी जिसपर रख कर जीतनराम मांझी चूड़ा-गुड़ खा रहे थे. (ध्यान से पढ़िए वो चूहा नहीं लिखा है!)
मायावती: मायावती बिलकुल अलग-थलग पड़ी थीं उनके पास न कोई कन्नी देने वाला था न घिर्री पकड़ने वाला. खिसिया के उन्होंने पतंग एक ओर फेंकी और आसमान में अपनी पतंग के लिए थोड़ी देर तक आरक्षण मांगने के बाद चुप बैठ गईं. उन्ही की तरह शिवसेना से उद्धव और मनसे के राज ठाकरे भी मुंह फुला कर बैठे थे. राज ठाकरे ने तो यहां तक कह दिया कि आज से सूर्यदेव ‘उत्तरायण’ हो गए. कल से वो महाराष्ट्र में उन्हें भी नहीं आने देंगे.
अकबरुद्दीन ओवैसी: एमआईएमके अकबरुद्दीन ओवैसी बता रहे थे कि पहले-पहल सारी पतंगे पतंग होती हैं फिर दुम जुड़ने या डोरी बंधने के बाद वो कुछ और हो जाती हैं अगल-बगल के लोग उनके इस ज्ञान से चमत्कृत हुए जा रहे थे. सिवाय मोहन भागवत के.
पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस: पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस की निगाहें सारे वक़्त बीजेपी की छत पर टिकी रहीं. उमर अब्दुल्ला बार-बार पतंग मोदी की पतंग से लड़ाने जा रहे थे मोदी न तो उनकी पतंग काट रहे थे न पीडीपी की पतंग को ऊपर जाने दे रहे थे. अंत में खिसिया के उमर ने पतंग छोड़ी और लन्दन निकल गए.
केजरीवाल: अरविंद केजरीवाल की पतंग थोड़ी देर उड़ने के बाद उन्होंने खुद ही समेट ली. ये पूछने पर कि वो अपनी पतंग कहां तक उड़ाना चाहते थे उनका जवाब था ‘चंदा तक’,पतंग दोबारा उड़ने को राजी नहीं थी और इसके लिए केजरीवाल बीजेपी को कोसे जा रहे थे जबकि उनकी पतंग न उड़ने की वजह ये थी कि कन्नी देने के बजाय उनके सारे नेता ट्विटर पर उनकी पतंग वाली फोटो ट्वीट-रिट्वीट करने में लगे थे. हडकंप मचना तब शुरू हुआ जब केजरीवाल ने खुद के साथ बीस-बीस हजार में तिल-गुड़ खाने के लिए भी लोगों को बुला डाला.
कांग्रेस की छत:
कांग्रेस की छत पर काफी कम लोग नजर आ रहे थे लेकिन जितने भी थे एक बार फिर कांग्रेस की पतंग कटवाने के लिए काफी थे. दिल्ली की पतंग अजय माकन के
हाथों में थमा दी गई थी. राहुल गांधी भी एक पतंग हाथ में लिए पूरी छत पर चक्कर लगा रहे थे जब तक वो दौड़ते पतंग हवा में रहती और रुकते ही फिर जमीं पर
औंधे मुंह आ गिरती. कुछ लोगों ने सोनिया जी से कहना चाह की मैडम न हो तो एक बार प्रियंका जी को मौका दें लेकिन रोबर्ट वाड्रा के साथ खड़ी प्रियंका को सोनिया
गांधी ने मुस्कुरा कर मना कर दिया. रॉबर्ट वाड्रा भी आगे नहीं आए. क्योंकि उन्हें पहले ही चेताया गया था कि ये आसमान का मामला है. आप सिर्फ ‘जमीन’ पर ध्यान
लगाइए.
(युवा व्यंग्यकार पेशे से इंजीनियर हैं और इंदौर में रहते हैं.)