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व्यंग्य: किसके डर से उमर जाना चाहते हैं लन्दन, क्या J-K में रामगोपाल वर्मा बनाएंगे सरकार?

अभी यक्ष प्रश्न ये है कि जम्मू-कश्मीर में सरकार कौन बनाएगा? पीडीपी को बहुमत मिला नहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस को राहुल गांधी लग गए. बीजेपी की पच्चीस तो सीटें ही हैं, तो क्या जम्मू-कश्मीर में 'सरकार' रामगोपाल वर्मा बनाएंगे?

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उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला

'अब ये आलम है तन्हाई से हम तंग आकर,
खुद ही दरवाजे की जंजीर हिला देते हैं.'

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पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद 'अलोन' अपने कुल जमा दो विधायकों की गिनती पर कुछ ऐसा ही गुनगुना रहे होंगे, लेकिन अभी यक्ष प्रश्न ये है कि जम्मू-कश्मीर में सरकार कौन बनाएगा? पीडीपी को बहुमत मिला नहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस को राहुल गांधी लग गए. बीजेपी की पच्चीस तो सीटें ही हैं, तो क्या जम्मू-कश्मीर में 'सरकार' रामगोपाल वर्मा बनाएंगे?

बीजेपी पच्चीस सीटों के साथ सरकार बनाने की स्थिति में हो न हो, 'मजे लेने' की स्थिति में जरूर आ गई है. बीजेपी के कई बड़े नेता आजकल खाली समय में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के दफ्तरों में ब्लैंक कॉल्स कर धड़कने बढ़ाने का खेल खेल रहे हैं.

अभी बीजेपी बिल्कुल उस पिता की तरह महसूस कर रही होगी, जिसके बेटे का कॉलेज के आखिरी साल में ही कैम्पस सलेक्शन हो गया है और चारों तरफ से रिश्तेदार ब्याह लायक लड़कियां बताए जा रहे हैं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस वालों का लड़का इंजीनियरिंग के आखिरी सेमेस्टर का पर्चा दे रहा है और उन्हें पता है अगर अभी कुछ न किया, तो आगे 'दहेज' भी मिलने से रहा. हमें दहेज को बढ़ावा देने का दोषी ठहराने के पहले राजनैतिक अर्थों में दहेज का मतलब समझें.

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ये बात फारुख अब्दुल्ला भी नहीं समझ पाएंगे कि जब सारी कायनात 44 पार के फेर और जम्मू-कश्मीर के हिन्दू मुख्यमंत्री जैसी दुनियावी बातों में फंसी है, तो उमर अब्दुल्ला को लन्दन जाने की क्या पड़ी है. हाल ही में वो उमर को 'बीजेपी के साथ अभी सरकार बना लो, मोदी जी बाहर आते-जाते रहते हैं, कभी उनके साथ चले जाना' समझाते देखे गए. सूत्र बताते हैं उमर अब्दुल्ला और बीजेपी के बीच सरकार बनाने को सहमति भी हो गई है. लेकिन लन्दन जाने की रट वो फारुख अब्दुल्ला के 'मोदी को वोट देने वाले समन्दर में डूब जाएं' वाले बयान को याद रख लगाए बैठे हैं. उमर को डर है कि बीजेपी से गठबन्धन करते ही 'चिल्लई कलान' के इस वक़्त में उनके पिता उन्हें जमी हुई डल झील मे न फेंक दें.

इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे मजेदार बयान गुलाम नबी आजाद का रहा. उनके अनुसार ‘बीजेपी जिस तरह से क्षेत्रीय दलों का सफाया कर रही है, वह राज्य के लोगों के जनादेश के प्रति असंवेदनशील होने जैसा है.’ बताते चलें कि गुलाब नबी आजाद वही शख्स हैं, जो सांप-सीढ़ी तक अकेले खेलना पसंद करते हैं. पीडीपी सूबे में सबसे ज्यादा सीटें लाकर भी सरकार बनाने को कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस और आधा दर्जन निर्दलीयों का मुंह तकती है.

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चलते-चलते: मौजूदा राजनीतिक हालात के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा को क्रिसमस की बधाइयों वाला सन्देश भेजा है. महामहिम वोहरा अब तक संदेश के अंत में बनी स्माइली का मतलब नहीं समझ सके हैं.

(आशीष मिश्र पेशे से इंजीनियर और फेसबुक पर सक्रिय व्यंग्यकार हैं.)

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