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व्यंग्य: अगर क्रिकेट 'धर्म' है तो...

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को डपटते हुए कहा कि देश में लोग क्रिकेट को धर्म की तरह मानते हैं, इसका सत्यानाश मत कीजिए. सुप्रीम कोर्ट ने ये बात तब कही है, जब दो घन्टे पहले डाली पोस्ट पर सौ लाइक न आएं, तो सामने वाले को धर्म खतरे में नजर आने लगता है.

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BCCI
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सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को डपटते हुए कहा कि देश में लोग क्रिकेट को धर्म की तरह मानते हैं, इसका सत्यानाश मत कीजिए. सुप्रीम कोर्ट ने ये बात तब कही है, जब दो घन्टे पहले डाली पोस्ट पर सौ लाइक न आएं, तो सामने वाले को धर्म खतरे में नजर आने लगता है.

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ये और रही कि अगली पोस्ट में सैंतालीस फेसबुक्कड़े धर्मरक्षकों को टैगिया, एक होकर धर्म बचाने का आग्रह करते ही उमड़ पड़े कमेंट्स के बाद खतरा टलता नजर आता है. इसीलिए जब सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट को धर्म कहा, तो कई लोगों के कान खड़े हो गए. गौरतलब है कि ये बात कोर्ट ने श्रीनिवासन से जुड़े केस की सुनवाई के दौरान कही. श्रीनिवासन तो यहां तक पूछते पाए गए कि अगर क्रिकेट धर्म है, तो उन्हें बीसीसीआई के मठ से दूर क्यों रखा जा रहा है? आखिर वो भी तो क्रिकेट धर्म के लिए रामपाल-आसाराम जैसे धर्मगुरु हैं.

सचिन क्रिकेट के भगवान हैं, लॉर्ड्स क्रिकेट का मक्का है, जैसी बातें तो हम पहले भी सुनते आए हैं. पर शीर्ष अदालत की इस टिप्पणी ने एक नई बहस को जन्म दिया है. सब जानते हैं इस मुल्क में धर्म से जुड़ी हर चीज बहुतों के लिए कमाने या लड़वाने के ही काम आती है. इस तथ्य को गांठ मारकर चलें, तो कई चीजों, लोगों और बातों की भूमिका को फिर से परिभाषित करना होगा. श्रीसंत जैसे खिलाड़ी क्रिकेट धर्म के बाबा साबित होंगे. यकीन मानिए, इनकी तो भूमिका भी नहीं बदलेगी बस ‘नित्यानंद’ या ‘इच्छाधारी’ जैसा कोई नाम देना होगा, लेकिन सबसे सटीक तो ‘तौलिया वाले बाबा’ ही होगा.

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राज कुंद्रा और बिंदू दारा सिंह जैसे लोग सम्मान की नजर से देखे जाने चाहिए. ऐसे लोगों को सट्टेबाज नहीं, भविष्यवक्ता या ज्योतिषी तो घोषित किया ही जा सकता है, वर्ना और किसे पता होता है कि चार गेंद बाद अगला गिरने वाला है या उंगली उठने वाली है? न्यूज चैनल्स पर पारी अंतराल के दौरान स्टूडियो में बैठ ‘धोनी को तीसरे नंबर पर खेलना चाहिए, ईशांत को पैवेलियन एंड से गेंद देनी चाहिए’ जैसे टोटके बताते खेल विशेषज्ञ बिलकुल निर्मल बाबा जैसे ‘दस्ताने में नीबू रखिए/बाएं पैड में काला धागा बांधिए’ जैसे उपाय बताते नजर आने लगे, तो कोई आश्चर्य न होगा.

चलते-चलते: क्रिकेट अगर 'धर्म' है, तो भारत-पाक का मैच 'साम्प्रदायिक दंगा' और विराट कोहली 'लव जेहादी'.

(आशीष मिश्र पेशे से इंजीनियर और फेसबुक पर सक्रिय व्यंग्यकार हैं.)

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