नरेन्द्र मोदी ऐसे मुल्क में अपना नाम छपा कोट पहन रहे हैं जहां जिंदगी भर घिसने के बाद ज्यादातर लोगों का नाम दो ही बार छप पाता है. पहला खुद की शादी के कार्ड पर और दूसरा शोकपत्र पर. ऐसे में जिसका नाम रोज अखबारों में छप रहा हो उसके कोट पर भी वही नाम छपा देख बवाल होना तो लाजमी है.
कपड़ों के मामले में हम भारतीयों का पूर्वाग्रह इतना तगड़ा है कि कपडे इस्त्री करते समय कॉटन के लेवल पर सिल्क इसलिए प्रेस नही करते कि कही इस्त्री बनाने वाली कम्पनी घर आकर ज्यादा पैसे न मांगने लग जाए. हर आम हिन्दुस्तानी के पास तीन तरह के कपडे होते हैं, घर में पहनने के कपड़े, बाहर पहनने के कपड़े और शादी वाले कपडे. ऐसे में प्रधानमंत्री के इन कपड़ों को क्या नाम दें?
कीमत पर जाएं तो कुछ लोग प्रधानमंत्री के कोट की कीमत साढ़े बारह लाख बता रहे हैं, कुछ उन्नीस लाख और कुछ पैंतीस लाख से भी ज्यादा. यह कीमत हम जैसे लोगों को भला कैसे पचेगी. जहां 120 की टी-शर्ट खरीदने के बाद भी आदमी गर्दन के पास ‘बाय वन गेट वन फ्री’ का टैग तलाशता है ऐसे में बीस लाख के कोट की बात सुन कलेजा मुंह को आता है. कभी-कभी लगता है इन्सान को जिंदगी में अकेला नहीं रहना चाहिए क्योंकि यकीन जानिये अगर मोदी जी कपड़े लेने किसी महिला को अपने साथ ले जाते तो यही कोट-पैंट तिहाई कीमत पर लाते.
नरेन्द्र मोदी के कपड़ों पर उस दल से जुड़े लोग भी बातें कर रहे हैं जिनके मंत्री मुम्बई हमले के वक़्त पोशाकें बदलने में मशरूफ थे. खुद उन्होंने पिछली सरकार के दरमियान करोड़ों-अरबों के घोटाले किये ऐसे में प्रधानमंत्री के कोट पर खर्च तो चिल्लर भी साबित नही होती. खुद पर पांच-पांच साल अरबों उलीचने के बाद लोग सादगी और फिजूलखर्ची की बात यूं करते हैं मानों देश में सिर्फ दीवालिये बसते हैं.
दूसरी ओर सूत्रों की मानें तो मोदी जी को सूट गिफ्ट में मिला था ऐसे में खर्च की बात भी आई-गई समझिये. बस पता ये कीजिये कि हमें ऐसे गिफ्ट्स देने वाले मित्र कहां से मिल सकते हैं? सबसे जायज और अहम सवाल तो सिर्फ ये है कि आम लोगों की तरह क्या मोदी जी ने भी कोट सिलवाने के बाद बचे हुए कपड़े की रुमाल बनवा ली थी?