आखिरकार रामपाल को पुलिस ने धर ही लिया, बाहर आते ही उसने अपना दुखड़ा सुनाया कि समर्थकों ने उसपर मायाजाल कर उसे अन्दर बंद कर रखा था. जब ये बहाना भी नही टिका तो उसका असली दुःख छलक पड़ा. रामपाल आश्रम सिर्फ इसलिए नही छोड़ रहा था कि कहीं उसके आश्रम से निकलते ही पीछे से रॉबर्ट वाड्रा उस पर भी कब्जा न कर लें. तलाशी के लिए सतलोक आश्रम में घुसी पुलिस ने जब बाथरूम तक में कैमरे लगे देखे तो पहले उन्हें लगा कि शायद बिग बॉस के सेट पर आ गए हैं, पर आश्रम में आगे बढ़ने पर जैसी-जैसी ‘अलौकिक’ वस्तुएं हाथ लगीं पुलिस को भी यकीन हो गया ये किसी ‘बाबा’ का आश्रम ही है.
सतलोक आश्रम से जो बातें निकल कर बाहर आई हैं उसमे सब से खास बात ये थी कि रामपाल जिस दूध में स्नान करता उसी दूध में बांटने के लिए खीर बनती थी, भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कभी इस कारण से भी नही सुधर सकेंगे, क्योंकि ये बात सामने आने के बाद पाकिस्तानियों को ‘कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे’ के साथ-साथ ‘दूध मांगोगे तो खीर देंगे’ से भी चिढ़ होने वाली है.
पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों की नजर भी इस सारे मामले पर बराबर लगी रही. पहले तो वो खुश थे कि 26/11 के बाद किसी ने पहली बार इतने घंटों तक एक पूरे राष्ट्र के खिलाफ युद्ध का माहौल बनाए रखा और दूसरी बात जो इस मामले में आतंकियों की दिलचस्पी की वजह बनी वो आतंकी संगठनों की खस्ता माली हालत थी. आलम तो ये कि पिछले दिनों जब पाकिस्तान के बाघा-अटारी बॉर्डर पर आतंकी हमला हुआ तो तीन-तीन आतंकी संगठनों ने एक धमाके की जिम्मेदारी ले ली.
हिन्दुस्तान में होकर अगर कोई ऐसे जिम्मेदारी लेने को खाली बैठा होता तो जरूर उसे पार्टी विशेष की रोज होने वाली हार की जिम्मेदारी लेने के काम पर लगा दिया जाता पर अफसोस पाकिस्तान में उनकी कोई पूछ परख नहीं हुई. अपनी खस्ता माली हालत को भक्तों से ब्रेनवाश कर ऐंठे रुपयों से सुधारने और रामपाल के चेलों से नए तरह का युद्ध कौशल सीखने को उत्सुक आतंकी संगठनों में रामपाल को लेकर बड़ी दिलचस्पी देखी जा रही है.