प्यार कैसे भी हो सकता है. किसी की नोज रिंग पर फिदा होकर, किसी की टेढ़ी गर्दन या बाल संवारने की अदा पर, ‘ओके’ को ‘के’ लिखने या सोफिस्टीकेटेड से उच्चारण पर, इंटरनेट के चैटरूम से रेलवे के वेटिंग रूम और दूर के रिश्तेदार की भतीजी की शादी में खाने की लाइन में धक्के खाते-खाते भी. कुल जमा आप कहीं भी सुरक्षित नही होते हैं, पर प्यार परवान (घर का ये हिस्सा जहां कहीं भी होता हो!) कब चढ़ता है? तो जवाब है कि जब उन्हें टेडी बीयर गिफ्ट करते हैं. लड़की को टेडी बीयर देना इस बात की निशानी है कि अब आपके प्यार की गाड़ी फुल थ्रोटल पर दौड़ पड़ी है.
एक दौर था जब मोहब्बत करना पीएचडी करने सा हुआ करता था. रिसर्च पेपर तैयार करने की तरह नाम-पता, पता करते तक में उसी की शादी का कार्ड आ जाया करता. बीस-पच्चीस पहले के मजनुओं की प्रेमकथा पढ़िए तो सबसे सुर्ख पन्ना वही नजर आएगा, जब शादी के कार्ड में ‘चिरंजीव रामसलोने संग सौभाग्यकांक्षी लैला’ पढ़ मजनू को पहली बार लैला का नाम पता चला था. किस्मत के धनी हुए तो किसी सहेली के जरिए बातें शुरू हो जाती और लौ लेटर के जरिए प्यार की लौ जलाई-बुझाई जाती. किताबों में छुपा-छुपाकर गुलाब का आदान-प्रदान होता, पर आज फेसबुक पर प्रपोज, व्हाट्सएप पर इकरार और फ्री नाइटकॉल्स पर ‘और सुनाओ’ ‘तुम सुनाओ’ ने बीच के पन्ने गायब कर रखे हैं. मोहब्बत करना येल यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने जैसा हो गया है. वीकेंड आते-आते हो जाती है पता भी नहीं लगता, इसलिए टेडी बीयर का दिया जाना माइलस्टोन का काम करता है.
लड़कियों का रिलेशनशिप स्टेटस तो चैट करते वक्त बनती-बिगड़ती उनकी मुखाकृति देखकर भी बताया जा सकता है, पर लड़कों का तभी पता चलता है जब कान में इयरफोन खोंसे छत पर या हाथ में बड़ा-सा टेडी लिए गिफ्टशॉप से बाहर निकलते दिख जाएं. किसी कन्या को टेडी बीयर मिलते देखिए उसका रिएक्शन कुछ यूं होता है मानो डॉक्टर ने उखड़ती सांसों के बीच मरीज को ऑक्सीजन लगा दिया हो. टेडी मोह देखकर सोच में पड़ जाते हैं कि इसके बिना ये अब तक जीवित कैसे थी? तदुपरान्त नामकरण भी देखिए तो पता चलेगा कन्या में नेतन्याहू से लेकर शी जिंगपिंग तक निवास करते हैं मंदारिन, हिब्रू या जर्मन, फ्रेंच, इतालवी जिन भाषाओँ का नाम भी न सुना हो उस किसी भाषा से शब्द लाकर टेडी को एक नाम दे दिया जाता है.
लड़कियों को उपहार स्वरूप टेडी देने की प्रथा किसने शुरू की ये तो नहीं पता, लेकिन जिसने भी की लाखों के जूतों के तल्ले घिसने से बचा लिए, वर्ना आधी उम्र पसंद जानने में और आधी उम्र पसंद छांटने में गुजर जाती. टेडी का उपयोग तब समझ आता है जब बात करते-करते गुस्सा आने पर उसकी पिटाई हो जाती है. लडकियां टेडी बीयर इसलिए पसंद करती हैं क्योंकि सारा दिन वो आपके कान नहीं खींच सकतीं. कन्या की मां ने रसोई में जाले भी झाड़ने को कह दिया तो शिकायत टेडी से, अत्याधिक उमड़ने वाले प्यार से लेकर सेल्फी की बौछार यहां तक की ब्रेकअप का दुःख भी टेडी को झेलना पड़ता है और अंततः हर बार लड़कों का प्यार, टेडी पर अत्याचार साबित होता है.
(आशीष मिश्र पेशे से इंजीनियर और फेसबुक पर सक्रिय व्यंग्यकार हैं.)