सूबेदार राम किशन ग्रेवाल के बैंक ने सरकार के इन आरोपों को खारिज किया है कि उसकी गणना में खामी की वजह से सेवानिवृत्त फौजी की पेंशन कम निर्धारित हुई थी. बुधवार को दिल्ली में ग्रेवाल की कथित खुदकुशी की वजह से देश की सियासत में भूचाल आ गया था. आजतक/इंडिया टुडे की जांच टीम ने भिवानी में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की घंटाघर शाखा में ब्रांच-प्रमुख से मुलाकात की. बता दें कि 2004 में ग्रेवाल के सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद से यही शाखा उन्हें पेंशन का भुगतान करती आई है.
बैंक फंड का ऑडिटर नहीं
बैंक की शाखा के चीफ मैनेजर राम सिंह ने बताया कि भत्ते और पेंशन की गणना का काम पूरी तरह सरकार का काम है. बैंक का काम सिर्फ इसे वितरित करने वाले एजेंट का होता है. बैंक ऐसे फंड का ऑडिटर नहीं होता.
ओआरओपी के मामले हैं अटके
आजतक/इंडिया टुडे की स्पेशल टीम ने ये तहकीकात रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से आए दावों के बाद की. इन सूत्रों ने नाम नहीं खोलने की शर्त पर बताया था कि ग्रेवाल को उनकी आधिकारिक मासिक पेंशन से हर महीने 5,000 रुपए कम भुगतान किया जा रहा था. मंत्रालय के सूत्रों ने इस विसंगति के लिए बैंक को जिम्मेदार ठहराया था.
गलत गणना की शिकायत थी
रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने बुधवार को कहा था- "गणना के हिसाब से ग्रेवाल को 28,000 रुपए पेंशन मिलनी चाहिए थी लेकिन बैंक की गलत गणना के हिसाब से उन्हें सिर्फ 23,000 रुपए मासिक पेंशन ही मिल रही थी."
आरोपों को किया खारिज
भारतीय स्टेट बैंक की भिवानी में घंटाघर ब्रांच के चीफ मैनेजर राम सिंह ने मीडिया में सामने आ रहे सरकार के इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. सिंह ने बताया कि पेंशन का भुगतान बैंक पेंशन पेमेंट ऑर्डर (PPO) के हिसाब से करता है. ये PPO रिटायर्ड कर्मचारियों के पूर्व नियोक्ता की ओर से ही बैंक को मिलते हैं.
'बैंक की कोई गलती नहीं'
सिंह ने कहा, "इसमें बैंक का कोई दोष नहीं है. बैंक ऐसे मामलों में गलती नहीं कर सकता. हमारे बैंक ने भुगतान PPO के हिसाब से ही किया. ये संबंधित विभाग ही है जिसने PPO जारी किया."
राजनीति के लिए बैंक को ठहराया दोषी!
आजतक/इंडिया टुडे के रिपोर्टर ने सिंह से पूछा- "क्या ऐसा उन्होंने (मंत्रालय के अधिकारियों) ने अपनी खाल बचाने के लिए किया और बैंक को दोषी ठहरा दिया?" सिंह ने जवाब दिया कि ये आप खुद तय कर सकते हैं.
पेंशनर्स का है पोर्टल
भारत सरकार ने पेंशनर्स के लिए खास तौर पर समर्पित पोर्टल बना रखा है. इसमें कर्मचारियों के रिटायर होने से पहले ही संबंधित विभागों के PPO जारी करने के नियम साफ किए गए हैं. इनमें लिखा गया है कि कोई त्रुटि पाने पर अपने उच्च अधिकारियों या बैंकों को जानकारी दी जानी चाहिए.
PPO के हिसाब से डाली जाती है राशि
राम सिंह ने कहा, "हमारे (बैंक) यहां से ज्यादा कुछ नहीं होता. हम पेंशनधारी के खाते में PPO के हिसाब से आई राशि डाल देते हैं और वो इसे निकाल लेते हैं. अगर पेंशनधारी हमें कोई शिकायत करता है तो इसे संबंधित विभाग तक पहुंचा दिया जाता है."
पेंशन की दी जानकारी
सिंह के मुताबिक ग्रेवाल ने बैंक के समक्ष कभी अपनी पेंशन को लेकर कोई मुद्दा नहीं उठाया. सिंह ने कहा, "उन्होंने (ग्रेवाल ने) कभी कुछ नहीं कहा. अगर पेंशन से जु़ड़ी किसी समस्या को लेकर कोई पत्र मिलता तो हम इसे उनके पूर्व नियोक्ता तक पहुंचा देते." सिंह ने विशेष जांच टीम को ग्रेवाल के आखिरी पेंशन ऑर्डर की रकम के बारे में भी जानकारी दी. सिंह ने बताया कि बीती 26 अक्टूबर को ग्रेवाल के खाते में पेंशन के तौर पर 22,608 रुपए आए थे.