राष्ट्रीय महत्व के विषयों में अदालत की सुनवाई के लाइव प्रसारण को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने मंजूरी दे दी है. न्यायालय ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत लाइव स्ट्रीमिंग के नियम-कानून बनाए जाएं.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों के बेंच में जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थें. तीनों जजों ने सर्वसम्मति से कहा कि लाइव प्रसारण से पारदर्शिता आएगी और यह लोकहित में होगा.
गौरतलब है कि 24 अगस्त को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'इसे सुप्रीम कोर्ट से शुरू किया जाएगा पर इसके लिए कुछ नियमों का पालन किया जाएगा.
हालांकि पिछली सुनवाई के दौरान CJI दीपक मिश्रा ने स्पष्ट किया था कि कि अयोध्या और आरक्षण जैसे मुद्दों की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं होगी. इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं.
केंद्र सरकार से मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगे जाने पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट दिशा-निर्देश दाखिल किए थें.
- जिसके मुताबिक लाइव स्ट्रीमिंग पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चीफ जस्टिस की कोर्ट से शुरू हो.
- संवैधानिक मुद्दे और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे शामिल हों.- वैवाहिक विवाद, नाबालिगों से जुड़े मामले, राष्ट्रीय सुरक्षा और साम्प्रदायिक सौहार्द से जुड़े मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग न हो.
- लाइव स्ट्रीमिंग के लिए एक मीडिया रूम बनाया जा सकता है जिसे लिटिगेंट, पत्रकार और वकील इस्तेमाल कर सकें. जिससे कोर्ट रूम की भीड़ भाड़ कम होगी.