फ्रांस के साथ हुए राफेल विमान सौदे पर राजनीतिक जंग के बीच सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस मामले पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की गई. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में केंद्र सरकार से विमान की कीमत, इसके लाभ और ऑफसेट पार्टनर चुनने की प्रक्रिया का विवरण बंद लिफाफे में मांगी है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने राफेल डील पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को राफेल की कीमतें, निर्णय लेने की प्रक्रिया और ऑफसेट पार्टनर चुनने की प्रक्रिया संबंधित विवरण सील बंद लिफाफे में 10 दिन के भीतर देने को कहा है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ऑफीशियल सीक्रेट एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह जानकारियां साझा नहीं की जा सकती. जिस पर कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा है तो सरकार हलफनामे के जरिए अपनी आपत्ति दर्ज कराए, अदालत इस पर विचार करेगी.
याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण द्वारा राफेल विमान सौदे की सीबीआई से जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आपको इंतजार करना पड़ेगा. मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी.
गौरलतब है कि इससे पहले 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से राफेल डील से संबंधित जानकारी मांगी थी. जिस पर सरकार की तरफ से 36 विमानों की खरीद प्रक्रिया के बारे में एक नोट दिया गया था. जिस पर कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई भी जानकारी ऐसी नहीं है जिसे जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाए.
कोर्ट ने कहा कि उसके पिछले आदेश के बाद इस मामले पर दो और याचिकाएं दाखिल हुई हैं. और इन याचिकाओं में विमान की क्षमता पर कोई सवाल नहीं उठाया गया है. सवाल निर्णय लेने की प्रक्रिया की प्रामाणिकता और विमानों की कीमतों पर उठे हैं.
गौरतलब है कि याचिका में राफेल मामले में FIR दर्ज कर अदालत की निगरानी में निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि केंद्र को निर्देश दिया जाए कि जांच से जुड़े अफसरों का तबादला न किया जाए या डराया न जाए.