सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंबई हाई कोर्ट द्वारा सात साल पहले दिए गए आदेश को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में सिगरेट एवं तंबाकू के गोदामों या खुदरा बिक्री केंद्रों पर विज्ञापन करने के लिए तय किए गए मानकों से संबंधित प्रतिबंधों पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य एवं केंद्र सरकारों से इन नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए भी कहा.
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी तथा न्यायमूर्ति वी. गोपाल गौड़ा की पीठ ने बंबई हाई कोर्ट के आदेश को 'व्यापक जनहित' के विपरीत बताया. उन्होंने कहा कि व्यापक जनहित को देखते हुए बनाए गए वैधानिक प्रावधानों को निलंबित करने से पहले बंबई हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में चार प्रमुख तथ्यों, 'प्रथम दृष्ट्या मामलों, सुविधा के संतुलन, जनहित एवं होने वाली अपूरणीय क्षति' पर विचार नहीं किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हाई कोर्ट बिना प्रथम दृष्टया तथ्यों के उचित कारणों के बिना वैधानिक नियमों पर रोक नहीं लगा सकता.'
बंबई हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर 2005 तथा 27 मार्च 2006 को दिए गए अलग-अलग आदेश में इन प्रतिबंधों पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन 'हेल्थ फॉर मिलियंस' की याचिका पर तीन जनवरी को बंबई हाई कोर्ट के इस आदेश को स्थगित कर दिया था.