नोटबंदी का मामला सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की बेंच को सौंप दिया है और विभिन्न हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है. लेकिन सरकार के लिए राहत की बात यह है कि कोर्ट ने पुराने नोटों को आवश्यक सेवाओं मे चलन की सीमा बढ़ाने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने इसे पूरी तरह सरकार पर छोड़ते हुए कहा कि ये सरकार जिम्मेदारी है और सरकार को संवेदनशीलता से इस पर उचित निर्णय लेना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के मसले पर सरकार से कहा है कि वह हर हफ्ते लोगों को बैंकों से 24,000 रुपये दिलाना सुनिश्चित करे और इस व्यवस्था की समय-समय पर समीक्षा करे.हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायधीश समेत तीन जजों की बेंच ने विभिन्न हाईकोर्ट मे लंबित मामलों की सुनवाई पर भी रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा देश की कोई भी और अदालत नोट बंदी मामले की सुनवाई नही करेगी. सभी मामले सुप्रीम कोर्ट सुनेगा. कोर्ट ने सभी मामलों में पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. लेकिन सरकार के लिए बुरी खबर यह है की सरकार के फैसले की न्यायिक समीक्षा के लिए नोटबंदी मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा दिया है. कोर्ट ने 9 सवाल तैयार किये हैं, जिन पर संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी. सरकार के लिए बुरी खबर इसलिए है कि पहले सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा था की आर्थिक मामलों में लिए गए सरकार के फैसलों में न्यायालय समीक्षा नहीं कर सकता. पर कोर्ट ने संवैधानिक बेंच बना कर मामले की समीक्षा का आदेश दे दिया है.
शुक्रवार सुबह याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया था कि आवश्यक सेवाओं के लिए 500 और 1000 के पुराने नोट से पेमेंट की छूट की मियाद बढ़ाने के लिए कोर्ट सरकार को निर्देश दे, लेकिन कोर्ट ने ये फैसला सरकार पर छोड़ दिया.