आगामी लोकसभा चुनावों से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वोटरों को 'राइट टू रिजेक्ट' का अधिकार देकर ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश में कहा है कि इस बार ईवीएम मशीन में 'कोई नहीं' का बटन भी हो.
यानी अगर आप एक भी उम्मीदवार से संतुष्ट न हों तो 'कोई नहीं' का बटन दबाकर अपना विरोध जता सकेंगे. कोर्ट ने चुनाव आयोग को इस संबंध में प्रावधान तैयार करने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सभी राजनीतिक दल एक होकर इस निर्णय में अड़ंगा लगा सकते हैं. इस निर्देश को अध्यादेश लाकर रद्द भी किया जा सकता है.
कोर्ट ने फैसले में कहा है कि उम्मीदवारों को खारिज करना अभिव्यक्ति का मूल अधिकार है. और राइट टू रिजेक्ट आने से राजनीतिक दल ईमानदारी से काम करेंगे. हालांकि आगामी चुनावों में लागू होने के बाद भी 'कोई नहीं' वाले वोटों का सार्थक उपयोग नहीं हो सकेगा. क्योंकि फिलहाल नकारात्मक वोट ज्यादा होने पर भी चुनाव रद्द किए जाने की व्यवस्था नहीं की गई है.
यानी नकारात्मक वोट कितने भी हों, सबसे ज्यादा वोटों वाला प्रत्याशी विजयी माना जाएगा. हालांकि जानकार इसे प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर अहम कदम मान रहे हैं.
आम आदमी पार्टी ने किया स्वागत
समाजसेवी अन्ना हजारे और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल काफी पहले से 'राइट टू रिजेक्ट' की मांग करते रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है. दागी सांसदों के चुनाव लड़ने के मुद्दे पर सरकारी अध्यादेश के खिलाफ राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने कोर्ट के निर्देश पर खुशी जताई. प्रशांत भूषण ने कहा, 'यह सही दिशा में लिया गया पहला कदम है. क्योंकि अभी 50 फीसदी से ज्यादा नकारात्मक वोट होने पर चुनाव रद्द करने का प्रावधान नहीं है.'
जो पार्टी विरोध करेगी उसे जनता के सामने बेनकाब करेंगे: AAP
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'सरकार ऐसा अध्यादेश क्यों नहीं लाती कि जिस संसदीय क्षेत्र में रिजेक्टेड वोटों का फीसद ज्यादा हो, वहां दोबारा चुनाव कराए जाएं. देखिए पूरा देश स्वागत करेगा.'
पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा, 'जो बात हमारे सदनों में नहीं हो सकी, वह कोर्ट में हुई. हालांकि दुर्भाग्य है कि लोकतंत्र में सारा काम कोर्ट को करना पड़ रहा है. बीजेपी-कांग्रेस सभी पार्टियों को उदारता दिखाते हुए इसका समर्थन करना चाहिए. जो भी पार्टी इसका विरोध करेगी उसे हम जनता के सामने बेनकाब करेंगे.'
बीजेपी ने नहीं खोले पत्ते, JDU ने किया स्वागतजेडीयू ने फैसले को अपना समर्थन दे दिया है. पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि इस फैसले से उस युवा तबके को विरोध जताने का मौका मिलेगा जो अब तक फेसबुक और टि्वटर पर ही राजनीति के गिरते स्तर के खिलाफ जंग छेड़े हुए थे.
लागू होने में लगेगा कितना समय!
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा है कि देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस फैसले को कितनी जल्दी लागू करवा पाता है. अभी हमें मालूम नहीं है कि वोटिंग मशीनों में 'कोई नहीं' का विकल्प जो़ड़ा जाना तकनीकी रूप से कितना जल्दी संभव है. उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों पर इसका खास प्रभाव नहीं पड़ेगा औऱ उन्हें अड़ंगा लगाने की जरूरत नहीं है.