सुप्रीम कोर्ट से सरकार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी वाले फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दो साल या ज्यादा की सजा होते ही सांसद या विधायक की सदस्यता छीने जाने का आदेश बरकरार रहेगा.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस फैसले सरकार की एक और पुनर्विचार याचिका को मान लिया है जिसमें जेल में रहते हुए किसी नेता के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था. इस याचिका पर अब 23 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी. कोर्ट ने इस सिलसिले में केंद्रीय चुनाव आयोग, बिहार सरकार, और जन चौकीदार संस्था को नोटिस जारी किया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था कि जिन नेताओं को 2 साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाएगी, उसकी सदस्यता तत्काल रद्द हो जाएगी. हां, अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इनके पक्ष में आएगा तो इनकी सदस्यता स्वत: वापस हो जाएगी.
इतना ही नहीं, जेल में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और ना ही वे चुनाव लड़ सकेंगे. क्योंकि जेल जाने के बाद उन्हें नामांकन करने का हक नहीं होगा.