सुप्रीम कोर्ट ने वीरप्पन के चार साथियों को राहत देते हुए उनकी फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा ही एक मामला कोर्ट की दूसरी बेंच के सामने लंबित है, इसलिए इस पर अगले आदेश तक रोक लगाई जाती है. इस मामले में अब फैसला 6 हफ्ते के अंदर आने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि चंदन तस्कर वीरप्पन के चार साथी कर्नाटक के करीब 20 साल पुराने बारूदी सुरंग विस्फोट मामले में मौत की सजा पर अमल किए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंचे थे.
वर्ष 1993 में कर्नाटक के पलार में बारूदी सुरंग विस्फोट मामले में वीरप्पन के बड़े भाई ज्ञानप्रकाश, सिमोन, मीसेकर मदैया और बिलावेन्द्रन को वर्ष 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी. इस हमले में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 13 फरवरी को उनकी दया याचिकाएं खारिज कर दी थीं. चारों दोषी कर्नाटक के बेलगाम की एक जेल में बंद हैं.
वर्ष 2001 में मैसूर की एक टाडा अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी लेकिन शीर्ष अदालत ने सजा को बढाकर मृत्युदंड कर दिया. गिरोह का सरगना वीरप्पन अक्टूबर 2004 में तमिलनाडु पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था.