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SC से फटकार के बाद सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को जेल, 11 मार्च तक रहेंगे तिहाड़ में

उच्चतम न्यायालय ने सख्ती बरतते हुए मंगलवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और उनके समूह के दो निदेशकों को निवेशकों का करीब 20 हजार करोड़ रुपये लौटाने के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण एक सप्ताह के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया.

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सुब्रत रॉय
सुब्रत रॉय

उच्चतम न्यायालय ने सख्ती बरतते हुए मंगलवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और उनके समूह के दो निदेशकों को निवेशकों का करीब 20 हजार करोड़ रुपये लौटाने के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण एक सप्ताह के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया.

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न्यायालय ने कहा कि वे ‘विलंब करने वाले हथकंडे’ अपना रहे हैं. शीर्ष अदालत परिसर में अफरा तफरी के बीच ग्वालियर के एक निवासी ने राय पर स्याही फेंक दी और उन्हें चोर कहते हुए उनका चेहरा काला कर दिया. न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ ने बेहद सख्त लहजे में उनसे कहा कि आपने हमें मजबूर किया है. यदि आप गंभीर होते तो यह नौबत नहीं आती. न्यायाधीशों ने अपने आदेश में निवेशकों को धन लौटाने के सहारा समूह के दावों पर सवाल उठाए.

न्यायालय ने कहा कि समूह के ये दावे तथाकथित निवेशकों के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हैं. सेबी जैसे प्राधिकरण ने भी पाया है कि उनका अस्तित्व ही नहीं है. न्यायाधीशों ने रॉय और दो अन्य निदेशक रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी को हिरासत में भेजने का आदेश देते हुए स्पष्ट किया कि यह आदेश अवमानना के मामले में नहीं है. न्यायालय ने एक अन्य निदेशक वंदना भार्गव को महिला होने के नाते बख्श दिया. न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के लिए 11 मार्च की तारीख निर्धारित की है.

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जब हाथ जोड़े रॉय ने
लखनऊ से पुलिस हिरासत में यहां लाए गए सुब्रत रॉय काली स्याही से दागी हुआ चेहरा धोने के बाद खचाखच भरे न्यायालय में पेश हुए और उन्होंने हाथ जोड़कर न्यायाधीशों से बिना शर्त माफी मांगी. उन्होंने संपत्ति बेचकर और बैंक गारंटी देकर सेबी के पास धन जमा कराने के लिए और समय दिए जाने का अनुरोध किया. सफेद शर्ट और जैकेट के साथ सहारा के लोगो की टाई बांधे 65 वर्षीय सुब्रत ने न्यायाधीशों को संतुष्ट करने का भरसक प्रयास किया और कहा कि वह उसके सभी आदेशों का पालन करेंगे. उन्होंने धन जमा करने के लिए और समय देने का अनुरोध किया.

सारी दलीलें बेकार
न्यायालय उनके साथ किसी प्रकार की नरमी बरतने के पक्ष में नहीं दिखा. न्यायाधीशों ने यह धन सेबी के पास जमा कराने के बारे में कोई ठोस प्रस्ताव पेश करने में विफल रहने के कारण रॉय के प्रति किसी भी प्रकार की दया दिखाने से इंकार कर दिया. एक अवसर पर रॉय ने कहा कि मैं आश्वासन दे रहा हूं. मैं आपको धन का भुगतान करूंगा. इस पर न्यायमूर्ति खेहड़ ने तपाक से कहा कि हमें आपसे कुछ नहीं चाहिए. राय ने तत्काल क्षमा याचना करते हुए कहा कि यह जुबान फिसल गई थी. न्याय व्यवस्था में पूरा भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि 37 साल में उन पर कोई दाग नहीं लगा है और उन्होंने पहले ही सभी आदेशों का पालन किया है. उन्होंने कहा, मुझे आपमें भरोसा है. यदि मैं आपके आदेशों का पालन नहीं करूं तो मुझे सजा दी जाए.

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भरोसे के लिए सख्‍ती जरूरी
न्यायाधीशों ने रॉय और उनके वकीलों की सारी दलीलों को ठुकराते हुए कहा कि कंपनी ने उसके आदेशों पर अमल में विलंब करने के लिए सभी हथकंडे अपनाए और न्यायपालिका में जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए यह जरूरी है. न्यायाधीशों ने कहा कि हमने पाया कि आज भी न्यायालय के 31 अगस्त, 2012 के फैसले तथा तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के 5 दिसंबर, 2012 तथा 25 फरवरी, 2013 के आदेशों के सम्मान में कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया गया है. इन परिस्थितियों में संविधान के अनुच्छेद 129 और अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए हम वंदना भार्गव के अलावा सभी अवमाननाकर्ताओं को हिरासत में रखने का आदेश देते हैं और उन्हें दिल्ली में सुनवाई की अगली तारीख तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजते हैं.

महिला हैं, इसलिए रियायत
न्यायाधीशों ने कहा कि भार्गव को रियायत दी जा रही है क्योंकि वह महिला निदेशक हैं और इसलिए भी ताकि वह हिरासत में बंद अवमाननाकर्ताओं के साथ तालमेल करके हमारे आदेशों पर अमल के लिए कोई स्वीकार्य समाधान का प्रस्ताव तैयार कर सकें. न्यायाधीशों ने कहा कि अवमाननाकर्ताओं को उन आदेशों पर पूरी तरह अमल करने और उनके द्वारा किए गए अवमानना से बचने के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया लेकिन इसका लाभ उठाने की बजाए उन्होंने इस न्यायालय के आदेशों पर अमल में विलंब के लिए तमाम हथकंडे अपनाए. न्यायाधीशों ने कहा कि इस न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों पर अमल नहीं किए जाने से हमारी न्याय प्रणाली की बुनियाद हिलती है और कानून के शासन की अवहेलना होती जिसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है.

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झूठे हलफनामे दाखिल किए
न्यायालय ने कहा कि रॉय और अन्य निदेशकों ने झूठे और परस्पर विरोधी हलफनामे दाखिल किए, जिससे निवेशकों का धन लौटाने के बारे में उनकी मनगढ़ंत कहानियों का पता चलता है और जो तथाकथित निवेशकों के बारे में ही गंभीर संदेह पैदा करता है. न्यायाधीशों ने कहा कि हमने पाया कि अवमाननाकर्ताओं ने सेबी, सैट, उच्च न्यायालय और यहां तक कि इस न्यायालय की कार्यवाही में भी लगातार अनुचित रवैया अपनाया. सेबी ने 18 फरवरी, 2014 को अवमाननाकर्ताओं द्वारा पेश दलीलों और दस्तावेज आदि का विश्लेषण करते समय विस्तृत जिक्र किया है जिससे संकेत मिलता है कि वे लगातार यहां तक अवमानना की कार्यवाही में भी अस्वीकार्य बयान और हलफनामे दाखिल करते रहे.

आर्थिक विकास के लिए यह जरूरी
न्यायालय ने कहा कि देश के आर्थिक विकास और राष्ट्र हित के लिये बाजार की निष्ठा बनाये रखना बेहद जरूरी है. न्यायाधीशों ने कहा कि निवेशकों का भरोसा बनाए रखने के लिए बाजार की निष्ठा और बाजार के दुरुपयोग पर अंकुश लगाना जरूरी है. बाजार का दुरुपयोग एक गंभीतर वित्तीय अपराध है जो इस देश के वित्तीय ढांचे को ही चुनौती देता है और संपन्‍न और सम्पत्तिहीनों के बीच असंतुलन पैदा करता है.

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