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NPR के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, मोदी सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने एनपीआर के खिलाफ दाखिल याचिका पर मोदी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. गृह मंत्रालय द्वारा 31 जुलाई 2019 को जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक एनपीआर अप्रैल से शुरू होने वाला है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

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  • गृह मंत्रालय के मुताबिक अप्रैल से शुरू होगा एनपीआर
  • साल 2010 में पहली बार तैयार किया गया था एनपीआर

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की मोदी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसरार उल हक मोंडल द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया गया है. मोंडल ने नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) और एनपीआर दोनों के खिलाफ याचिका दायर की है.

गृह मंत्रालय द्वारा 31 जुलाई 2019 को जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक एनपीआर अप्रैल से शुरू होने वाला है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ दाखिल याचिकाओं  पर नोटिस जारी कर चुका है. इन याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई होगी.

दिसंबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्य‍क्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की जनगणना 2021 की प्रक्रिया शुरु करने और राष्ट्रीय जनसंख्या‍ रजिस्टर (एनपीआर) को शुरू करने को मंजूरी दी थी. जनगणना प्रक्रिया पर 8754.23 करोड़ रुपये और एनपीआर पर 3941.35 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

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देश की पूरी आबादी जनगणना प्रक्रिया के दायरे में आएगी, जबकि एनपीआर में असम को छोड़कर देश की बाकी आबादी को शामिल किया जाएगा. नागरिकता कानून 1955 और नागरिकता नियम 2003 के तहत एनपीआर को पहली बार 2010 में तैयार किया गया था. आधार नंबर से जोड़े जाने के बाद साल 2015 में इसको अपडेट किया गया था.

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