सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने मंगलवार को केंद्र सरकार को समन भेज कर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर जवाब मांगा है. ये समन केरल सरकार की याचिका पर दिया गया है. याचिका के मुताबिक, सीएए संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करता है. साथ ही यह संविधान की मूल भावना यानी समानता और धर्मनिरपेक्षता के भी खिलाफ है.
इसके अलावा याचिका में पासपोर्ट संशोधन नियम 2015 और संशोधित विदेशी नागरिक आदेश 2015 को भी चुनौती दी गई है. इन संशोधनों की वजह से ही तीन पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है.
केरल सरकार नागरिकता कानून के है खिलाफ
केरल की पिनरई विजयन सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट, नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का पुरजोर विरोध किया है. पहले राज्य की विधानसभा में खिलाफ में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है. इतना ही नहीं केंद्र के द्वारा NPR की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से भी राज्य सरकार ने मना कर दिया है.
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राज्यपाल कर चुके हैं विरोध
केरल सरकार ने जब नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था तो राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नाराजगी जाहिर की थी. केरल सरकार ने इस कदम के बारे में राज्यपाल को सूचना नहीं दी थी , जिस पर उन्होंने आपत्ति भी जताई थी.
राज्यपाल ने कहा था कि सरकार के कामकाज को किसी शख्स या राजनीतिक दल की मर्जी के हिसाब से नहीं चलाया जाना चाहिए. हर किसी को नियम का पालन करना चाहिए.
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आरिफ मोहम्मद खान केरल सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को हटाने के लिए पास हुए प्रस्ताव को गलत ठहरा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि किसी राज्य को केंद्र के विषयों पर प्रस्ताव पास करने का संवैधानिक हक ही नहीं है. दूसरी ओर केरल में राज्यपाल और सरकार के बीच जंग के दौरान सीपीएम के मुखपत्र में आरिफ मोहम्मद खान की आलोचना भी की गई थी.