वायुसेना में दो अलग-अलग तरीके से ग्रुप कैप्टन नियुक्त होने वाले अधिकारियों के रिटायरमेंट की आयु में असमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील खारिज करते हुए आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के फैसले को सही ठहराया है.
फैसले के मुताबिक टाइम स्केल ग्रुप यानी साल दर साल प्रोमोशन लेकर ग्रुप कैप्टन बने अधिकारी और सेलेक्ट कैडर यानी आउट ऑफ टर्न तरीके से ग्रुप कैप्टन बने अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु एक ही होगी. पहले इन दोनों में असमानता थी, टाइम स्केल के जरिए ग्रुप कैप्टन की रिटायरमेंट आयु 54 साल थी, जबकि सेलेक्ट कैडर से ग्रुप कैप्टन बने अधिकारी की रिटायरमेंट आयु 57 साल तय थी.
सरकार की इस पक्षपातपूर्ण नीति के खिलाफ सबसे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में 2009 में कुछ ग्रुप कैप्टंस की तरफ से याचिका डाली गई थी. आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल बनने के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए वहां भेज दिया गया था. आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने सरकार की नीति को गलत ठहराते हुए दोनों कैटिगरी के लिए एक ही, 57 साल की रिटायरमेंट आयु तय कर दी थी. इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
ग्रुप कैप्टंस की तरफ से अदालत में पेश हुईं वकील मेघना मिश्रा के मुताबिक ‘ये एक लैंडमार्क जजमेंट है...कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि एक ही पद के लिए दो अलग-अलग मापदंड नहीं हो सकते. जो नीति सरकार ने अपनाई हुई थी, वो संविधान की धारा 14 और 16 का उल्लंघन है, जो समानता की बात करता है.’
फैसला सुनाने वाली जस्टिस टी.एस. ठाकुर और जस्टिस सी. नागप्पन की बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि जब दोनों ग्रुप को समान पे स्केल, समान ग्रेड मिलता है तो फिर रिटायरमेंट आयु में फर्क क्यों? बेंच ने ये भी कहा है कि याचिकाकर्ता ग्रुप कैप्टंस को पिछला सारा बकाया और सुविधाएं दी जाएं