सुप्रीम कोर्ट के कक्ष नम्बर 10 में सीबीआई के स्पेशल जज रहे बृजगोपाल लोया की मौत की जांच के मामले की सुनवाई हुई. इस मामलें में महाराष्ट्र सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने सीलबन्द लिफाफा कोर्ट को दिखाया और कहा कि इसमें इस मामले से संबंधित अत्यंत गोपनीय रिपोर्ट हैं.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि इसे अन्य पक्षकारों के साथ साझा किया जाये, क्योंकि उनको भी सब कुछ जानने का हक है. साल्वे ने कहा कि ये गोपनीय है और अदालत के आदेश पर वो इसे दूसरे पक्षकारों को देते हुए ये उम्मीद करेंगे कि वो इसकी गोपनीयता और संस्थान की गरिमा का ध्यान रखेंगे.
कोर्ट ने सात दिनों के भीतर रिपोर्ट के समुचित अंश मुहैया कराने के आदेश दिए. मामला सात दिनों के बाद कभी भी सुनवाई के लिए तय करने की बात कहकर जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस शान्तन गौदार ने केस की फाइल में गांठ लगा कर सरका दी. दूसरे मामले की सुनवाई शुरू हो गई.
अब देर शाम जब आदेश की प्रति सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुई तो कथा बदल गई. आदेश में लिखा था कि महाराष्ट्र सरकार सात दिनों में इस रिपोर्ट के समुचित अंश को कोर्ट के रिकॉर्ड पर दर्ज कराए. कोर्ट उसकी समीक्षा करेगी और उसकी प्रतियां सम्बंधित पार्टियों को मुहैया कराने को कहेगी. इसके बाद इस मामले को समुचित कोर्ट के सामने पेश किया जाये.
आपको बता दें कि आदेश की इस लाइन 'put up before aporopriate bench' पर सभी अटक गए. सवाल खटका कि क्या जस्टिस अरुण मिश्रा ने ये मामला कहीं और भेजने की भूमिका तो तैयार नहीं कर दी? क्या चीफ जस्टिस ने इस मामले को लेकर मचे बवाल के बाद इसकी सुनवाई किसी और बेंच से कराने का फैसला कर लिया है? क्या अब इस मामले की सुनवाई नाराज़ और चीफ जस्टिस के बाद वरिष्ठतम जज जस्टिस चेलमेश्वर की बेंच करेगी? चार जज़ों की नाराज़गी और असंतोष की एक वजह इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को भेजे जाने से भी थी.
सीबीआई के स्पेशल जज लोया सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी अभियुक्त हैं. असंतुष्ट जज़ों को लग रहा है कि शाह को राहत देने की मंशा से ही सीजीआई ने ये मामला जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को भेजा है.
अब तो ये देखना और दिलचस्प होगा कि आखिर इस चर्चित मामले में जिसमें निकटतम परिजन कोई साज़िश न होने की बात कह रहे हैं. वहीं कोई तीसरा पक्ष गहरी साज़िश की आशंका जता रहे हैं. अब देखना होगा कि इस मामले की सुनवाई अब किस बेंच के सामने आगे बढ़ेगी