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गोवा में खनन से प्रतिबंध हटा, 2 करोड़ टन लौह अयस्क खनन की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में सालाना 2 करोड़ टन तक लौह अयस्क खनन की अनुमति देते हुए राज्य में पिछले 18 महीने से जारी खनन प्रतिबंध हटा लिया. शीर्ष अदालत ने 5 अक्तूबर 2012 को जारी अपने अंतरिम आदेश को निष्प्रभावी करते हुए उसके द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने तक खनन गतिविधियों पर कड़ाई से निगरानी रखने को लेकर पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा गोवा सरकार को कुछ निर्देश भी दिये हैं.

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खनन पर डेढ़ साल पहले लगा था प्रतिबंध
खनन पर डेढ़ साल पहले लगा था प्रतिबंध

सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में सालाना 2 करोड़ टन तक लौह अयस्क खनन की अनुमति देते हुए राज्य में पिछले 18 महीने से जारी खनन प्रतिबंध हटा लिया. शीर्ष अदालत ने 5 अक्तूबर 2012 को जारी अपने अंतरिम आदेश को निष्प्रभावी करते हुए उसके द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने तक खनन गतिविधियों पर कड़ाई से निगरानी रखने को लेकर पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा गोवा सरकार को कुछ निर्देश भी दिये हैं. कोर्ट ने जस्टिस एमबी शाह की सिफारिशों के आधार पर राज्य में खनन गतिविधियों को निलंबित कर दिया था.

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जस्टिस ए के पटनायक, जस्टिस सुरिन्दर सिंह निज्जर और जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की अंतिम रिपोर्ट आने तक राज्य सरकार सतत विकास तथा समानता को ध्यान में रखकर गोवा में खनन पट्टों से अधिकतम सालाना 2 करोड़ टन खनन की अनुमति देगी.

कोर्ट ने कहा कि 1962 के पट्टा विलेखों के आधार पर चल रहे मौजूदा पट्टों के संबंध में 2007 के बाद डीम्ड (मान्य) नवीनीकरण की व्यवस्था नहीं स्वीकार की जाएगी.

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के एक किलोमीटर के दायरे में खनन के पट्टे नहीं दिये जायेंगे. कोर्ट ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय उद्यानों के आसपास पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान छह महीने के भीतर की जाये. कोर्ट ने कहा कि गोवा सरकार ई-नीलामी के जरिये एकत्र हुये कोष के उपयोग के बारे में छह महीने के भीतर योजना तैयार करेगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी खनन फर्मो की सूची में दर्ज उन श्रमिकों को खनन कार्य पर कोर्ट के आदेश से लगी रोक की अवधि के लिए 50 फीसदी मजदूरी मिलेगी जो इस आदेश के चलते बेकार हो गए थे. कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ समिति यह सिफारिश भी करेगी कि उत्खनन की गयी सामग्री का किस तरह उपयोग किया जाना है.

सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को कहा था कि वह गोवा में लौह अयस्क के खनन की सीमा निर्धारित करने के मुद्दे पर फैसला बाद में सुनाएगी. कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले के नीतिगत पहलू पर गौर नहीं कर सकता है और वह सिर्फ इसके नियामकीय पहलुओं पर भी विचार करेगा. विशेषज्ञ समिति ने गोवा सरकार से सिफारिश की थी कि निजी खनन कंपनियों की अनियमितताओं के मद्देनजर एक खनन निगम या सार्वजनिक कंपनी बनायी जाये. इस मामले में न्याय मित्र के रूप में कोर्ट की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने 26 मार्च को पेश विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के कुछ अंश भी पढ़े थे. गोवा में खनन लाइसेंस रद्द करने का निर्णय होने की स्थिति में लौह अयस्क की ई-नीलामी से मिलने वाले धन के बारे में पूछे गये एक सवाल पर साल्वे ने सुझाव दिया था कि खनन कंपनी को खनन की न्यूनतम लागत चुका कर शेष धनराशि सरकार को मिलनी चाहिए.

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समिति ने कहा था कि लौह अयस्क की ई-नीलामी के जरिये अब तक करीब 16 लाख बीस हजार टन लौह अयस्क की नीलामी हुयी है जिससे करीब 260 करोड़ रुपये मिले हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2013 को गोवा में 90 खदानों में खनन कार्यो पर रोक के एक साल बाद से उत्खन के बावजूद उपयोग नहीं किये जा सके करीब एक करोड़ 14 लाख 80 हजार टन लौह अयस्क की ई नीलामी की अनुमति दे दी थी. कोर्ट ने जस्टिस एम बी शाह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर गोवा में लौह अयस्क के खनन, उसकी ढुलाई और निर्यात पर रोक लगा दी थी.

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