उच्चतम न्यायालय ने महिलाओं की समुचित सुरक्षा और उनके साथ भेदभाव खत्म करने के सवाल पर विचार के लिये सहमति व्यक्त करते हुए केन्द्र और सभी राज्य सरकारों से इस संबंध में जवाब तलब किये हैं. इसके अलावा न्यायालय ने बलात्कार के सभी मुकदमों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने हेतु त्वरित अदालतें गठित करने के लिये दायर जनहित याचिका पर भी सुनवाई करने का निश्चय किया है.
प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ बलात्कार के मुकदमों की सुनवाई के लिए त्वरित अदालतें गठित करने और महिलाओं के प्रति अपराध के आरोपों में आरोपित सांसदों तथा विधायकों के निलंबन के लिये दायर जनहित याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करेगी.
इस बीच, न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने महिलाओं की समुचित सुरक्षा हेतु वकील मुकुल कुमार की जनहित याचिका पर केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब तलब किये हैं. केन्द्र और राज्य सरकारों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने हैं.
मुकुल कुमार ने अपनी याचिका में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए प्रत्येक शहर और कस्बे में महिला थाने स्थापित करने और महिलाओं के प्रति हर तरह का भेदभाव खत्म करने संबंधी संयुक्त राष्ट्र कंवेन्शन लागू करने का अनुरोध किया है.
राजधानी में एक चार्टर्ड बस में 23 वर्षीय युवती से सामूहिक बलात्कार की सनसनीखेज वारदात की पृष्टभूमि में प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ देश में बलात्कार के मुकदमों की तेजी से सुनवाई हेतु त्वरित अदालतों के गठन के लिये दायर जनहित याचिका पर कल सुनवाई करेगी. इस घटना में बुरी तरह जख्मी युवती का 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में निधन हो गया था.
त्वरित अदालतों के गठन के लिये भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व अधिकारी प्रोमिला शंकर ने यह जनहित याचिका दायर की है. प्रोमिला शंकर चाहती हैं कि बलात्कार और महिलाओं तथा बच्चों के प्रति अपराध के सभी मामलों की जांच महिला पुलिस अधिकारी करे और अदालतों में ऐसे मुकदमों की सुनवाई भी महिला न्यायाधीश ही करें.