सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम आदेश में कहा कि राज्य सरकारें उम्रकैद की सजा पाए दोषियों को क्षमादान देकर उन्हें आजाद कर सकती हैं. यह आदेश सीबीआई या केंद्रीय कानून के तहत जांच किए गए मामलों में लागू नहीं होगा. इसके साथ ही SC का 9 जुलाई, 2014 का अंतरिम आदेश निरस्त हो गया है.
न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकारें उन मामलों में दोषियों को क्षमादान नहीं दे सकती जहां उम्रकैद का मतलब पूरा जीवन जेल में व्यतीत करना या रेप और मर्डर के मामले में 20 या 25 साल की सजा निर्धारित की गई है.
कोर्ट ने कहा कि यह क्षमादान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले के सात दोषियों पर लागू नहीं होगा. राज्य उस स्थिति में क्षमादान दे सकते हैं, जहां आरोपी द्वारा फैसले को चुनौती नहीं दी गई हो. संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति और 161 के तहत राज्यपाल को भी क्षमादान देने की शक्ति है.