ऋण स्थगन (लोन मोरेटोरियम) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है. इसमें स्थिति की समीक्षा के लिए केंद्र और रिजर्व बैंक को कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी स्पष्टता की मांग है कि क्या बैंक नए दिशा-निर्देश दे सकते हैं. अगस्त के पहले हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई होगी.
टर्म लोन की ईएमआई चुकाने को लेकर अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. इसमें लोगों को छह महीने की मोहलत मिली है. लेकिन इस दौरान ब्याज माफ हो या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है. हाल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट इस पर कुछ नरम पड़ता दिखा और अब बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय को निर्देश दिया कि तीन दिन के भीतर बैठक कर इस बारे में निर्णय लें. सुप्रीम कोर्ट की मुख्य चिंता अब इस बात को लेकर है कि क्या ईएमआई में दिए जाने वाले ब्याज पर भी ब्याज लिया जाएगा? कोर्ट ने कहा कि वह बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा, 'हमारी चिंता यह है कि जो ब्याज माफ किया गया है उसे क्या आगे जोड़कर ग्राहकों से लिया जाएगा और क्या इस ब्याज पर भी ब्याज लिया जाएगा.'
दरअसल, लॉकडाउन में काम बंद होने से बहुत लोग लोन की EMI नहीं चुका पा रहे हैं. रिजर्व बैंक के आदेश पर बैंकों ने ईएमआई में छह महीने का मोरेटोरियम तो दिया है लेकिन कर्ज पर ब्याज बराबर लग रहा है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस ब्याज अदायगी से छूट की मांगी गई है.