अगस्ता वेस्टलैंड में घूस देने का आरोप झेल रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के लिए राहत की खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा खरीदे गए अगस्ता हेलिकॉप्टर के मामले में दायर याचिका पर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने के लिए एक अवधि तय की जानी चाहिए. क्या हो जब कोई दस साल बाद किसी मसले पर जागता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट तय नहीं कर सकता कि एक सीएम हेलिकॉप्टर खरीद सकता है या नहीं. 2006 के बाद याचिका ने अलग-अलग मोड़ लिया है. हमें याद रखना चाहिए कि नीलामी की कोई संवैधानिक कीमत नहीं है. क्या विवाद बनाए रखने के लिए राजनीतिक पार्टी याचिका दाखिल करती हैं. कैग की रिपोर्ट इसमें मदद करेगी की क्या खरीददारी में कुछ अनैतिक था.
सुप्रीम कोर्ट अब छह हफ्ते बाद इस मसले पर सुनवाई करेगा. कोर्ट पहले यह तय करेगा कि राजनीतिक पार्टी के लिए रजिस्ट्रेशन करने के बावजूद स्वराज अभियान की याचिका सुनवाई योग्य हैं या नहीं. कोर्ट ने कहा कि वो कैग की रिपोर्ट पर भी विचार करेगा.
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने स्वराज अभियान की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ये याचिका नहीं दायर की जा सकती. याचिका के पीछे निहित राजनैतिक स्वार्थ हैं. कैग और पीएसी पहले ही इस मामले को देख रही है.
स्वराज अभियान का दावा है कि राज्य सरकार ने 2007 में अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर के भुगतान 30 प्रतिशत से अधिक कमीशन एक डीलर को दिया. योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने मामले में छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह पर बेटे की कंपनी के जरिए कमीशनखोरी का आरोप लगाया है. आरोप है कि झारखंड ने जिस कीमत में खरीदा, उससे 65 लाख अधिक में यहां खरीद गया.